भारतीय जनता युवा मोर्चा ने महाराष्ट्र सरकार का जलाया पुतला, अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी का किया विरोध

Protest in damoh

दमोह,गणेश अग्रवाल। महाराष्ट्र में सरकार (Maharashtra government) के द्वारा एक पत्रकार पर मामला कायम करते हुए उसे गिरफ्तार किए जाने का गुस्सा अब बड़े शहरों के साथ छोटे शहरों में भी देखा जाने लगा है। यही कारण है कि दमोह (damoh) में दोपहर को जहां एक पत्रकार संगठन द्वारा अर्नब गोस्वामी (arnab goswami) की गिरफ्तारी के विरोध में ज्ञापन सौंपा गया, तो शाम को भारतीय जनता युवा मोर्चा (bhartiye janta yuva morcha) द्वारा महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra government) का पुतला दहन (Effigy burnt) किया गया।

 

दरअसल, भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा दमोह के अस्पताल चौराहे पर अर्नब गोस्वामी (arnab goswami) की गिरफ्तारी के विरोध में महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra government) का विरोध करते हुए उनके नाम ज्ञापन सौंपा गया। भारतीय जनता युवा मोर्चा के पदाधिकारियों ने सबसे पहले भाजपा कार्यालय में एकत्र होकर रणनीति तैयार की, वही इसके बाद अस्पताल चौराहे पर पहुंचकर महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के चित्र लगा पुतला दहन किया गया।

इस दौरान पदाधिकारियों ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra government) प्रेस की आजादी (freedom of press) को दबाना चाहती है। यही कारण है कि उन्होंने अर्नब गोस्वामी (arnab goswami) को गिरफ्तार किया है। भारतीय जनता पार्टी द्वारा महाराष्ट्र की सरकार का विरोध करते हुए नारेबाजी करते हुए पुतला दहन किया गया।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।