जंगल से मुरम का हो रहा था उत्खनन, दमोह रेंजर की कार्रवाई तीन आरोपी गिरफ्तार

Gaurav Sharma
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illegal soil mining in damoh

दमोह, गणेश अग्रवाल। जिले में बारिश का दौर थमते ही एक बार फिर दमोह (damoh) के जंगली इलाकों में अवैध उत्खनन (illegal mining)  और परिवहन शुरू हो गया है, यह परिवहन अवैध रूप से किया जा रहा है। वनों का उत्खनन और उन्हें नुकसान पहुंचाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। ऐसे हालात में दमोह रेंज के अंतर्गत अवैध उत्खनन के बाद हो रहे परिवहन की जानकारी लगने के बाद कार्रवाई की गई है, जिसमें तीन आरोपी सहित एक ट्रैक्टर को जब्त किया गया है।

दरअसल, दमोह रेंज (Damoh Range) के अंतर्गत आने वाले जंगलों में देर रात अवैध उत्खनन (illegal mining)  का दौर जारी था। जिसकी जानकारी लगने के बाद दमोह रेंजर महिपाल सिंह ने दल बल के साथ पहुंचकर जंगल से अवैध रूप से मुरम का उत्खनन कर ले जाए जा रहे ट्रैक्टर ट्रॉली को जब्त किया है। इसके साथ ही ट्रैक्टर ट्रॉली में सवार तीन लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है।

 

मालूम हो कि बारिश खत्म होने के बाद अब इस तरह से अवैध उत्खनन के मामले लगातार बढ़ेंगे और ऐसे हालात में वन अमला सक्रियता के साथ काम कर रहा है। बता दें कि बीते कुछ दिनों में अवैध उत्खनन रोकने पर वन अमले पर हमले की घटनाएं हो चुकी है। वन अमले के द्वारा ट्रैक्टर को पकड़े जाने के बाद अब ट्रैक्टर को राजसात किए जाने की कार्रवाई की जाएगी। वही दमोह के अधिकारी ने बताया कि इस तरह की कार्रवाई लगातार जारी रहेगी। जिससे जंगलों में हो रहे अवैध उत्खनन को बंद किया जा सके।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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