Damoh News : मध्य प्रदेश के दमोह जिले से एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है, जहां सालभर पहले भैंस चोरी होने की शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई थी और तब से ही भैंसों की तलाश जारी थी। इसी बीच वीरेंद्र पटेल को भैंसों के बारे में जानकारी लगी तो उन्होंने सगौनी गावं से वीरेंद्र सेन नाम एक शख्स से इन्हें बरामद की और गाड़ी में भर कर वो अपने गांव ले आया लेकिन यहां इंदर और वीरेंद्र पटेल के बीच विवाद हो गया कि भैंस किसकी है? तो आइए जानते हैं आगे का पूरा मामला…
इमलिया पुलिस चौकी के पास पहुंचा मामला
हमलोग अक्सर एक स्लोगन सुनते आए हैं जिसकी लाठी उसकी भैंस। कुछ ऐसा ही इस गांव में भी देखने को मिला है। कहावत से हटकर पुलिस ने हनुमान जी की शरण ली और फिर फैसला हुआ कि भैंस किसकी है। दरअसल पूरा मामला कुछ इस तरह है कि भैंस एक साल बाद तो मिली लेकिन दोनों के विवाद के बाद मामला इमलिया पुलिस चौकी पहुंच गया।
दोनों पक्ष मानने को नहीं थे तैयार
रविवार की रात दोनों पक्ष पुलिस चौकी में जमा हुए। इलाके के सरपंच और जिम्मेदार लोगों को तलब किया गया लेकिन पुलिस के सामने भी मसला हल नहीं हो पाया। इमलिया चौकी प्रभारी आनंद अहिवाल ने काफी मशक्कत की लेकिन दोनों पक्ष मानने तैयार नहीं थे। फिर आखिरकार पुलिस को हनुमान जी का सहारा लेना पड़ा। पुलिस चौकी में जुड़ी पंचायत का नया ठिकाना गावँ का मंदिर बन गया और आखिरकार हनुमान जी के सामने ये तय हुआ कि भैंसों का असली मालिक इंदर पटेल है।
भगवान के दरबार में हुआ फैसला
भगवान के दरबार में तय होने के बाद वीरेंद्र पटेल ने तलाश की और दूसरे गावँ से लाई गई भैंसे इंदर को सौंप दी। ये अपने तरह का अजीबो-गरीब मामला है, जब पुलिस ने कोर्ट कचहरी से फैसला कराने के बजाए भगवान का सहारा लिया। रात में ही भैंसे इंदर को मिल गई जबकि खुद तलाश करने के बाद दूसरे गावँ से मेहनत करके लाने वाले वीरेंद्र पटेल को भैंसे देने का मलाल नहीं है।
चौकी प्रभारी ने दी जानकारी
इमलिया पुलिस चौकी प्रभारी आनंद अहिवाल ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि, दोनों पक्षों को काफी समझाया गया लेकिन कोई भी इन भैंसों से अपना हक जताने से नहीं चूक रहा था और आखिरकार चौकी में लगी पंचायत को मंदिर में शिफ्ट करना पड़ा और कुछ ही मिनटों में कसमें खाने के बाद मामला सुलझ गया।
दमोह से आशीष कुमार जैन की रिपोर्ट