दमोह – स्वास्थ्य केंद्र में होती रही मीटिंग, जमीन पर हुआ मरीज का इलाज, वीडियो वायरल

Gaurav Sharma
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दमोह, गणेश अग्रवाल। दमोह जिले के  पथरिया के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में व्याप्त अव्यवस्थाओं की पोल उस समय खुलती नजर आई, जब पथरिया अस्पताल में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बैठक ले रहे थे। इसी दौरान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आने वाले मरीजों को इलाज के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ा।

हालांकि यहां पर पदस्थ डॉक्टर एवं स्टाफ मीटिंग के साथ काम में व्यस्त था, लेकिन इसी दौरान एक ऐसा वीडियो सामने आया है जो यहां की व्यवस्था को उजागर कर रहा है। वैसे तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में व्याप्त अव्यवस्थाए आए दिन ही सामने आती रहती हैं, लेकिन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की मीटिंग के दौरान भी अवस्था की पोल खुलती नजर आई।

 

यहां पर आने वाले 1 मरीज को स्टाफ के द्वारा इंजेक्शन देकर उसका इलाज किया जा रहा था, लेकिन स्ट्रैचर की व्यवस्था ना होने या फिर जल्दबाजी में ही इलाज करने का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें अस्पताल स्टाफ के द्वारा जमीन में लिटाकर मरीज को इंजेक्शन लगा दिया गया।

यह वीडियो बनाए जाने के बाद अब तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें स्वास्थ्य केंद्र की अवस्था की पोल खुलती नजर आ रही है। वीडियो के सामने आने के बाद अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं। लेकिन स्वास्थ्य अमले की अव्यवस्थित प्रणाली से मरीजों को खासी दिक्कतें हो रही हैं, इलाज कराने में उनको परेशानी भी हो रही है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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