Damoh-जंगली रहवासी इलाके में निकला अजगर, टाइगर रिजर्व टीम ने किया रेस्कयू

Gaurav Sharma
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दमोह, गणेश अग्रवाल। दमोह (damoh) के जंगली इलाकों में जानवरों की चहल कदमी आम है, लेकिन जब यह जानवर एवं जहरीले जीव जंतु रहवासी इलाकों में आ जाते हैं, तो लोगों में हड़कंप के हालात निर्मित हो जाते हैं। ताजा मामला वनांचल मडियादो क्षेत्र का है, जहां पर एक अजगर (Python) के रहवासी इलाके में घुस आने के बाद लोगों में दहशत का माहौल बन गया। वहीं टाइगर रिजर्व की टीम (tiger reserve team) के द्वारा अजगर का रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ा गया, तब लोगों ने राहत की सांस ली।

दमोह, छतरपुर एवं पन्ना (damoh,chhatarpur and panna border) सीमा से लगे बफ़र ज़ोन मड़ियादो के आदिवासी मोहल्ले में मिलन आदिवासी की झोपड़ी में आज सुबह एक विशालकाय अजगर (giant phython) निकलने से अफरातफरी का माहौल निर्मित हो गया। अजगर को देखने भारी संख्या में लोगों की भीड़ जमा होने लगी। लोगों ने अजगर को दूध तक पीने रख दिया। मामले की सूचना पर टाईगर रिजर्व दल (tiger reserve team) का अमला मौके पर पहुंचा और वन परिक्षेत्र अधिकारी ह्रदेश हरि भार्गव के नेतृत्व में अजगर का रेस्कयू शुरू किया। कड़ी मशक्कत के बाद अजगर सांप को पकड़कर चौकी भरका के जंगल मे छोड़ा गया।

गौरतलब है कि मड़ियादो बफ़र में अजगर सांपो की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। यहां पर आए दिन विशालकाय अजगर सांप निकलते हैं। गनीमत यह है कि आम लोगों को कोई नुकसान नहीं पंहुचता है, लेकिन विशालकाय अजगर की उपस्थिति से लोगों में दहशत जरूर निर्मित हो जाती है, ऐसा ही आज देखने को मिला।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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