हथियार बनाने वाली फैक्ट्री पर पुलिस की कार्रवाई, डेढ़ दर्जन हथियार बरामद, आरोपी गिरफ्तार

Gaurav Sharma
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दमोह, गणेश अग्रवाल। जिला पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। पुलिस द्वारा हथियारों को बनाने की एक फैक्ट्री का पर्दाफाश किया गया है। यह फैक्ट्री करीब 1 साल से संचालित की जा रही थी। वही सूचना मिलने के बाद पुलिस ने जब यहां पर छापामार कार्रवाई की तो पुलिस के भी होश फाख्ता हो गए। यहां पर बड़ी मात्रा में अवैध हथियारों के साथ, हथियार बनाने का सामान सहित कारतूस बरामद हुए हैं। वहीं पूरे मामले का खुलासा पुलिस अधीक्षक ने किया है।

 

दरअसल, दमोह कोतवाली पुलिस ने अवैध हथियारों को बनाने की एक फैक्ट्री का खुलासा किया है। यह फैक्ट्री का संचालन दमोह जिला मुख्यालय के कछियाना मोहल्ला में किया जा रहा था, जिसकी सूचना मिलने के बाद पुलिस ने जब यहां पर छापामार कार्रवाई की तो पुलिस को करीब 16 देसी बने हुए कट्टे सहित इन सभी को बनाने का सामान एवं 10 जिंदा कारतूस मिले। पुलिस ने इस मामले पर 3 आरोपियों को भी पकड़ा है। वही पुलिस अधीक्षक ने मामले का खुलासा करते हुए कहा कि सभी आरोपियों से पूछताछ जारी है। पूछताछ में और भी खुलासे की उम्मीद की जा रही है। बता दें कि पिछले वर्षों में भी इस तरह के हथियार बनाने की फैक्ट्री का संचालन का खुलासा पुलिस द्वारा किया जा चुका है। वहीं एक बार फिर पुलिस के हाथ बड़ी सफलता लगी है, तथा पुलिस ने हत्यारों को बनाने वाले आरोपियों को भी गिरफ्तार करते हुए हथियार भी बरामद किए हैं।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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