हाथरस गैंगरेप केस के विरोध में बाल्मीकि समाज का प्रदर्शन, बंद किया काम

Gaurav Sharma
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दमोह, गणेश अग्रवाल। उत्तरा प्रदेश के हाथरस(Hathras of Uttara Pradesh) में बाल्मीकि समाज (Valmiki Society) की युवती के साथ हुए सामूहिक बलात्कार (Gang rape) और फिर उसकी मौत के बाद आधी रात को उत्तर प्रदेश पुलिस (Uttar Pradesh Police) द्वारा किए गए मृतका के अंतिम संस्कार और अमानवीयता दर्शाने के साथ साथ उत्तर प्रदेश सरकार (Government of Uttar Pradesh) के खिलाफ अब मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में भी मोर्चा खुल गया है। मध्यप्रदेश के हर जिले में हाथरस(Hathras) में हुई वारदात और उस पर उत्तरप्रदेश सरकार और पुलिस के रवैये को देखते हुए भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है, साथ ही उसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन(Protest) भी किया जा रहा है।

 

इसी कड़ी में दमोह (Damoh) में भी हाथरस रैप और हत्याकांड को लेकर लगातार आक्रोश देखने को मिल रहा है। हाथरस में हुई घटना का विरोध करते हुए दमोह के सफाई कामगारों (Damoh’s cleaning workers) ने काम बंद कर दिया है। जिले भर के स्वीपर काम बंद करके अपना विरोध जाहिर कर रहे हैं। आज सुबह से काम बंद किये इन सफाई कर्मचारियों ने शहर की सड़कों पर प्रदर्शन किया और उत्तर प्रदेश पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सफाई कमागारों की माने तो उत्तर प्रदेश की घटना ने मानव जाति को शर्मसार किया है। वही सरकार के इशारे पर पुलिस ने रीतिरिवाजों को दरकिनार करके रात के अंधेरे में पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया। मृतक लड़की बाल्मीकि समाज की थी लिहाजा समाज आक्रोशित है और पीड़िता को न्याय की गुहार लगा रहै हैं।

बता दें कि बता दें कि उत्तरप्रदेश के हाथरस (Hathras of Uttar Pradesh) में 14 सितंबर को जिले के चंदपा थाना क्षेत्र के एक गांव में चार दबंगों ने 19 साल की युवती के साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया था। वारदात के बाद आरोपियों ने पीड़िता की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी थी , साथ ही उसकी जीभ भी काट दी थी।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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