दिल दहलाने वाली तस्वीर, एंबुलेंस नहीं मिली तो ठेले पर ढोकर ले गए मां का शव

दमोह, आशीष कुमार जैन। जिले में कोरोना संकटकाल के बीच बड़ी ही दर्दनाक तस्वीरें देखने को मिल रही हैं। ये खबर तो आपको झकझोर कर रख देगी। पथरिया में इलाज के अभाव में एक माँ ने दम तोड़ दिया। यहां बेटा अपनी माँ के शव को घर ले जाने घंटों एम्बुलेंस का इंतजार करता रहा। लेकिन जब एंबुलेंस नहीं मिली तो थक हारकर वो हाथ ठेले पर माँ के शव को रखकर घर तक ले गया।

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जिले के पथरिया नगर के वार्ड नंबर 6 में रहने वाली रितिका उर्फ कलावती विश्वकर्मा को उनका बेटा और परिजन स्वास्थ्य केंद्र गंभीर हालत में ले गए। उनकी मां को तुरंत इलाज की जरूरत थी लेकिन स्वास्थ्य केंद्र में इलाज नहीं मिला। नतीजा ये हुआ कि मां की अस्पताल में ही मौत हो गई। मां की मौत के बाद बेटा और परिजन शव घर ले जाने के लिए घंटों तक सरकारी एंबुलेंस का इंतजार करते रह गए, लेकिन एंबुलेंस नहीं मिली। प्राइवेट एंबुलेंस से बात की तो उसने महज 2 किलोमीटर तक शव ले जाने के 5 हजार रुपयों की मांग कर दी। परिजन आर्थिक तंगी की वजह से प्राइवेट एंबुलेंस का खर्च नहीं उठा सके। थक हारकर बेटा और परिजन हाथ ठेले पर ही शव लेकर घर लौट आए।

परिजनों का आरोप है कि महिला को समय पर  सही उपचार नहीं मिल सका। घंटों तक वह अस्पताल में डॉक्टर का इंतजार करते रहे। कुछ देर बाद डॉक्टरों ने यह कहकर भगा दिया कि वह कोविड-19 केयर सेंटर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं जिसके चलते मरीज का इलाज नहीं कर पाएंगे। महिला की हालत गंभीर थी बावजूद इसके डॉक्टरों ने कोई उपचार नहीं किया और यही कारण है इलाज के अभाव में महिला की दर्दनाक मौत हो गई। कोरोना काल में ऐसी तस्वीरें आईना दिखा रही हैं। सिस्टम की नकामी के कारण लोग असमय काल के गाल में समा रहे हैं और अब हालात ये बन रहे हैं कि गरीबों के लिए शव को भी ढेले पर ढोकर ले जानी की मजबूरी बन गई है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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