सांप के काटने से हुई दो मासूम जुड़वा बहनों की मौत

Gaurav Sharma
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दमोह, गणेश अग्रवाल। जिले के हटा थाना क्षेत्र के सनकुइया गांव में सर्पदंश से दो मासूमों की मौत हो गई है। मृतक मासूम बहने माही और मोहनी दोनो जुड़वा थी। परिजनों का कहना है कि रात में सोते समय दोनों को सांप ने काटा और मौत हो गई। घटना के बाद माता पिता का रो-रोकर बुरा हाल है क्योंकि वे एक दिन पहले तक इन बेटियों के साथ हंस खेल रहे थे और अचानक से यह घटना घटित हो गई। वहीं गांव में भी दोनों मासूमों की मौत के बाद मातम पसरा हुआ है, यहां परिजनों ने लापरवाही यह कर दी कि वे झाड़फूंक में लगे रहे और जब बेटियों की हालत बिगड़ी तो अगले दिन अस्पताल पहुंचे, जहां डाक्टरों ने उन्हे मृत घोषित कर दिया।

जानकारी के मुताबिक नीतेश रजक के घर दो जुड़वा बेटियां हुई थी, जो 14 माह की हो गई थी। एक बेटी का नाम माही और दूसरी का नाम मोहनी था। रात को सोते समय किसी सर्प ने उन्हे डंस लिया, बेटियों के चीखने की आवाज आते ही परिजन जागे तो उन्होंने देखा कि एक बेटी के कान और दूसरी बेटी के हाथ में किसी सर्प ने डंसा है। परिजन दोनों मासूमों को तत्काल अस्पताल न लाकर किसी गुनिया के पास झाड़फूंक कराने ले गए, जहां घंटों झाड़फूंक के चक्कर में दोनों बेटियों की मौत हो गई। वही सुबह परिजन दोनों बच्चियों को लेकर सिविल अस्पताल पहुंचे जहां डाक्टरों ने उन बच्चियों को मृत घोषित कर दिया। डाक्टरों का कहना है कि मौत की वजह साफ नहीं है। परिजन सर्पदंश बता रहे हैं, पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का खुलासा हो पाएगा।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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