कोरोना का कहर, एक ही परिवार के तीन लोग हुए संक्रमित,इलाज जारी

Gaurav Sharma
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देवास, सोमेश उपाध्याय। बागली नगर में जनता कर्फ्यू बीते 174 दिन बाद अंततः कोरोना ने दस्तक दे ही दी। शुक्रवार को नगर के तीन मरीजों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई। तीनों मरीज पिता-पुत्र है और पिछले 14 दिनों में दो बार भोपाल गए थे, जहां पर उनके एक रिश्तेदार की बीमारी के बाद मौत हो गई थी।

जानकारी के अनुसार मुख्य बाजार में रहने वाले एक परिवार के रिश्तेदार की भोपाल में बीमारी के बाद मौत हो गई थी। पिछले दिनों परिवार के सदस्य दशा कर्म में भाग लेने के लिए फिर से भोपाल होकर आए थे। बाद में 4 सदस्यों को सर्दी बुखार की शिकायत हुई। जिस पर सरकारी अस्पताल के दिन ने नमूना लेकर जांच के लिए भेजा। शुक्रवार को मरीज इंदौर पहुंचे और जांच करवाई जिसमें एक बुजुर्ग और उनके दो पुत्र पॉजिटिव निकले। वे इंदौर के एक निजी अस्पताल में भर्ती हो गए।

सूचना मिलने पर बागली की नायाब तहसीलदार और पटवारी ने नगर परिषद के अमले के साथ पहुंच कर घर को सेनिटाइज करवाया। साथ ही घर को कंटेटमेंट जोन बनाया। मेडिकल टीम ने कांटेक्ट हिस्ट्री निकलने का प्रयास किया। नगर परिषद की टीम में दरोगा प्रमोद शर्मा, राजस्व निरीक्षक मुरली राठौर, वीरेंद्र गुर्जर और लायक अली आदि शामिल थे।

ग्रीन जॉन में है बागली-तीनो लोगों के सैंपल इंदौर में लिए गए थे, इसलिए गिनती भी इंदौर जिले में की जाएगी,इस लिहाज़ से बागली अभी भी ग्रीन जॉन में है। परन्तु सुरक्षा के मद्देनजर संक्रमित परिवार के निवास को सील कर दिया गया है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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