इस मंदिर में सपरिवार विराजे हैं भगवान श्री गणेश, 100 साल से ज्यादा पुराना है मंदिर

Gaurav Sharma
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देवास, अमिताभ शुक्ला। गणेशोत्सव का समय चल रहा है, पूरे देश में लोग भगवान गणेश की आराधना में जुटे हुए है। देवास में एक ऐसा भगवान गणेश का प्रसिद्ध मंदिर है जो अपने अनोखे इतिहास और मान्यता के कारण सिर्फ जिले में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है।

देवास का प्राचीन महादेव का मंदिर यूं तो भोलेनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है पर जिले के बालगढ़ रोड़ पर स्थित इस मंदिर की विशेषता यह भी है कि भगवान श्री गणेश यहां पूरे परिवार सहित विराजमान है ।भगवान गणेश की दोनों पत्निया रिद्धि – सिद्धि व दोनों पुत्र शुभ लाभ व उनका वाहन मूषक की प्रतिमा यहाँ विराजित है ।साथ ही भगवान भोलेनाथ और माता पार्वतीजी का भी मन्दिर यहाँ मौजूद है ।

इस मंदिर की एक और विशेषता यह भी है,कि इस मंदिर में अनेको सन्तों ने यहां पर वर्षो तक साधना की है और साधना करते हुए कई सन्तों ने अपने प्राण यहां त्याग दिए है । कई संतो की समाधि भी यहाँ मौजूद है ।

मंदिर के प्रांगण में जायेगे संत श्री बालकदासजी की समाधि स्थल भी यहां मौजूद है,जिंहोने यहां वर्षो तपस्या की और यही वजह है कि यहां की समिति का नाम संत श्री बालकदास गणेश उत्सव समिति रखा गया है ।

दस दिन तक मन्दिर में हवन का भी आयोजन किया जा रहा है और विशेष पूजा अर्चना का दौर ज़ारी है,जिसके चलते भगवान श्री गणेश का विशेष श्रृंगार भी यहां आपको देखने को मिलेगा और मंदिर में विद्युत साज सज्जा के साथ ही फूलो की साज सजावट भी मन मोह लेने वाली है ।

यहां आने वाले श्रद्धालु खुद बताते है,कि यह बहुत ही सिद्ध स्थान है और भगवान श्री गणेश सपरिवार विराजित है । एक श्रद्धालु इस मन्दिर को करीब 100 साल से भी अधिक प्राचीन मन्दिर बताते हुए कहते है कि प्रतिवर्ष यहां इस समय भक्तो का ताता लगा रहता है,लेकिन कोरोना के चलते कम ही लोग दर्शन करने आ रहे है।साथ ही आरती और हवन में सोशल डिस्टेंस का विशेष ध्यान रखा जाता है।इतना ही नही मन्दिर के गेट पर ही सेनेटाइज़र की भी व्यवस्था की गयी है ।

 

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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