धार/मोहम्मद अंसार
धार जिले के बाग में कहावत जिसकी लाठी उसकी भैंस साकार होती प्रतीत हो रही है। यहां के गरीब बेबस आदिवासी मजदूरों की ना तो प्रशासन सुन रहा है ना ही बैंक मैनेजर।
ये आदिवासी मजदूर बैंक ऑफ इंडिया से पैसे निकालने के लिए आसपास के इलाके से यहां आ रहे हैं, लेकिन लंबे इंतजार के बाद भी अपनी बारी न आने पर ये रात को यहीं बैंक के सामने लाइन लगाकर सो जाते हैं। आदिवासी गरीब मजदूरों को आर्थिक सहायता की राशि निकालने के लिए रात भर बैंक के सामने लगी हुई लाइन में इंतजार करना पड़ रहा है। कोई यहां चादर बिछाकर सो रहा है तो कोई यूं ही बैठकर रात काट रहा है। इस लाइन में कई महिलाएं भी शामिल हैं। ये गरीब मजबूर महिला, बच्चे, वह पुरुष अपने घर से बिस्तर लेकर बैंक के सामने लगी हुई लाइन पर सो जाते हैं।
रात में बैंक के सामने सोए मजबूर लोगों की लंबी लाइन लगी हुई होती हैं, यहां इंतजार करने के 3 से 4 दिन के बाद इनका नंबर आता है तब बैंक से पैसा निकाल पाते हैं। कई बार तो नंबर कैंसिल हो जाता है या तो, कभी बैंक में कोई तकनीकी दिक्कत आ जाती है तो कभी कोई लिंक फेल हो जाता है। ऐसे में अपने ही हक का पैसा निकालने के लिए इन मजदूरों को न सिर्फ लंबा इंतजार करना पड़ रहा है बल्कि सोशल डिस्टेंस के उल्लंघन के कारण इनके बीमार होने का खतरा भी बढ़ रहा है।