अशोकनगर, हितेन्द्र बुधौलिया। चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों पर दबाव में या एक पक्षीय काम करने के आरोप लगते रहते हैं। मगर अशोकनगर जिले में निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी निभाने वाले चुनाव प्रेक्षक संजय पोपली पर ही गंभीर एवं सनसनीखेज आरोप लगाए जाने का मामला सामने आया है। निर्वाचन आयोग को लिखे एक शिकायती पत्र में आईएएस संजीव पोपली पर भाजपा उम्मीदवार जजपाल सिंह जज्जी को जीताने सहित सरकारी तंत्र एवं सुविधाओं के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है।
अशोकनगर जिले में चुनाव के दौरान सरकारी अधिकारी कर्मचारियों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। 2 दिन पहले ही कांग्रेस ने कलेक्टर एवं एसडीएम को हटाने की मांग की थी, उनका आरोप था कि यह दोनों भाजपा उम्मीदवार के दबाव में काम कर रहे हैं। नया मामला निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा भेजे गए पंजाब के आईएएस एवं अशोकनगर ,मुंगावली एवं बामोरी विधानसभा उपचुनाव के सामान्य प्रेक्षक संजय पोपली को से जुड़ गया है। निर्वाचन आयोग के नाम लिखित शिकायत पत्र में प्रकाश नाम के व्यक्ति ने शिकायत की है, कि संजय पोपली और भाजपा प्रत्याशी जजपाल सिंह जज्जी आपस मे रिस्तेदार है, और पोपली ने उपचुनाव में जजपाल सिंह जज्जी को जिताने की कसम खा रखी है। जो पत्र मीडिया को मिला है उसमें यह भी लिखा है कि पोपली जिला प्रशासन के सरकारी तंत्र का जमकर दुरुपयोग कर रखें कर रहे हैं। शिकायत की गई है, कि 35 से ज्यादा कर्मचारियों को अपने अर्दली में लगा रखा है साथ ही 10 सुरक्षाकर्मी में लगे हुए हैं।
मीडिया ने जब इस पत्र में लिखे आरोपों की हकीकत जानने की कोशिश की तो, तुलसी सरोवर के पास बने नवीन विश्राम गृह में जहां प्रेक्षक निवास कर रहे है, वहाँ करीब आधा दर्जन से अधिक पटवारी प्रेक्षक की सेवा में लगे मिले। उन्होंने बताया कि वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर बिना लिखित आदेश के बाद प्रेक्षक महोदय की सेवा में काम कर रहे हैं। यही नहीं इनके अलावा भी करीब 1 दर्जन से अधिक लोग यहां काम करते मिले। जबकि जानकारों का कहना है कि प्रेक्षक को इतने बड़े लाव लश्कर की जरूरत नही पड़ती।
अशोकनगर जिले की 2 सीटों पर चुनाव है और जिस व्यक्ति को भारत निर्वाचन आयोग ने निष्पक्ष चुनाव के लिए भेजा है। उसी की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए गए तो पूरे प्रशासनिक तंत्र में हडक़ंप मच गया है। पत्र में लिखे आरोपों पर प्रेक्षक संजय पोपली मीडिया के सामने कुछ बोलने तैयार है अलबत्ता उनका कहना है कि आरोपी निरादर है एवं पत्र सन्दिग्ध हो सकता है, जिला प्रशासन इस मामले में कुछ कहने की स्थिति में नही है। ऐसे में इस पत्र की विश्वसनीयता एवं इस शिकायत को निर्वाचन आयोग कितनी गंभीरता से लेता है, यह देखने वाली बात है।