मिसाल : पिता को थी टीवी,दादा की हो गई किडनी खराब ,मन में ठाना जरूर बनूंगा डॉक्टर 

छतरपुर, संजय अवस्थी। “जिद करो और दुनिया बदलो”,(jid karo Aur Duniya Badlo)ये स्लोगन आपने बहुत सुना होगा और पढ़ा होगा। हालाँकि ये स्लोगन दुनिया यानि समाज को बदलने की तरफ इशारा करता है लेकिन मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के एक छोटे से गांव के मजदूर के बेटे ने एक ऐसी जिद की जो उसके लिए नामुमकिन जैसी थी लेकिन अपनी मेहनत, लगन और समर्पण से मजदूर में बेटे ने ना सिर्फ अपनी जिद पूरी की बल्कि दूसरों के लिए एक मिसाल भी पेश की।

यह कोई फिल्मी कहानी नहीं है ये हकीकत है ,छतरपुर (Chhatarpur) के भंगवा के छोटे से गांव कुडलिया के पन्ना लाल अहिरवार की।  जिसने अपने परिवार की आथिर्क स्थिति खराब होने के बाद भी  मेडिकल की परीक्षा पास की  और उसका मेडिकल कॉलेज में एडमिशन भी  हो गया।  पन्ना लाल बचपन से पढाई में तेज था, लेकिन घर के हालात ऐसे नहीं थे कि वह मेडिकल कॉलेज  तक पहुंच जाये ,लेकिन उसने परिश्रम नहीं छोड़ा जिसका सकारात्मक परिणाम भी सामने आया, अब उसके संघर्ष की कहानी लोगों  की जुबान पर है।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....