Mangalnath Temple MP: मध्य प्रदेश का ये शहर है मंगल की जन्मस्थली, मंदिर में होती है विशेष पूजा, यहां जानें पौराणिक महत्व

Diksha Bhanupriy
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Mangalnath Temple MP: मध्यप्रदेश एक ऐसी जगह है जहां पर कई सारे पर्यटक स्थल मौजूद है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। पर्यटक स्थलों के अलावा यहां कई धार्मिक केंद्र भी मौजूद है जहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जाती है। बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन तो वैसे भी धार्मिक नगरी के नाम से प्रसिद्ध है और यहां वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

उज्जैन में कई पौराणिक मंदिर मौजूद है जिन से श्रद्धालुओं की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। बाबा महाकालेश्वर के दर्शन करने के लिए तो वर्ष भर में करोड़ों श्रद्धालु पहुंचते ही हैं। लेकिन इसके अलावा यहां पर कई धार्मिक स्थल मौजूद है जिनका विशेष महत्व है। आज हम आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बताते हैं।

ऐसा है Mangalnath Temple MP

उज्जैन में बहने वाली मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के पवित्र तटों पर जन्म लेने वाली अध्यात्मिक संस्कृति के चलते उज्जयिनी का नाम शास्त्रों में विख्यात हुआ है और यहां के धार्मिक तीर्थों का बहुत महत्व है।

Mangalnath Temple MP

यहां स्वयंभू महाकाल के अलावा अमंगल को मंगल में बदलने वाले भगवान मंगल नाथ का जन्म स्थल भी है। जी हां उज्जैन को मंगल की जननी कहा जाता है। यहां एक विशेष मंदिर मौजूद है जहां देश ही नहीं दुनिया भर से श्रद्धालु दर्शन पूजन करने के लिए पहुंचते हैं।

बहुत प्रसिद्ध है मंगलनाथ मंदिर

मध्य प्रदेश में भगवान मंगल के वैसे तो कई सारे मंदिर मौजूद हैं लेकिन उज्जैन में की गई पूजा का वैसा महत्व कहीं और नहीं मिलता जो यहां पर मिलता है। मान्यताओं के मुताबिक यहां पर पूजन अर्चन करने वाले हर जातक की कुंडली से बुरे दोष का नाश हो जाता है।

 

जिन लोगों की कुंडली में मंगल भारी होता है वह ग्रह की शांति के लिए मंगलनाथ मंदिर में भात पूजन करवाने के लिए पहुंचते हैं। पूजन के पश्चात कुंडली में उग्र रूप में स्थापित मंगल शांत हो जाता है। इसी मान्यता के चलते हर साल लोग यहां पर पूजा करवाने के लिए पहुंचते हैं जिनमें कुछ अविवाहित और कुछ विवाहित जोड़े भी शामिल होते हैं।

मंगल की जन्मकथा

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान भोलेनाथ ने अंधकासुर नामक एक राक्षस को यह वरदान दिया था कि उसके रक्त से सैकड़ों राक्षसों का जन्म होगा। इसके बाद से दानव ने अवंतिका में हाहाकार मचाना शुरू कर दिया। इससे परेशान होकर दीन दुखी भगवान शिव से प्रार्थना करने लगे और इस संकट से उन्हें बचाने की गुहार लगाने लगे।

Mangalnath Temple MP

अपने भक्तों को संकट से बचाने के लिए भगवान शिव ने खुद ही अंधकासुर से युद्ध किया और यह युद्ध बहुत ही भयानक था। इस दौरान शिवजी को पसीना आने लगा और उनके रौद्र रूप के पसीने की जो बूंदे अवंतिका की धरती पर गिरी उससे जमीन दो भागों में विभक्त हो गई और मंगल ग्रह का यहां से जन्म हुआ। युद्ध में शिवजी ने अंधकासुर का संहार कर दिया और उसकी रक्त की बूंदों को उत्पन्न हुए मंगल ने अपने अंदर समाहित कर लिया इसलिए ही मंगल की धरती लाल है।

मंगलनाथ का इतिहास

जानकारी के मुताबिक उज्जैन का यह मंदिर सदियों पुराना है और सिंधिया राजघराने ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था। मंदिर में की गई मंगल की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है और भगवान मंगल यहां पर शिवजी के रूप में ही पूजे जाते हैं।

मंगलवार के दिन यहां देश ही नहीं दुनिया भर से भक्तों का तांता लगता है जो दूर-दूर से भगवान का पूजन अर्चन करने के लिए पहुंचते हैं। यहां पर विशेष भात पूजा करवाई जाती है और ऐसा कहा जाता है कि भगवान की पूजा करने से मंगल ग्रह शांत होता है और जातक को सभी दोषों से मुक्ति मिलती है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल की वजह से मांगलिक दोष आते हैं वह यहां पर बड़ी संख्या में पूजा करवाने के लिए आते हैं।

मंगलनाथ का महत्व

मान्यताओं के मुताबिक इस मंदिर में जो भी व्यक्ति पूजा करवाता है उसे नवग्रहों की पूजा का विशेष लाभ मिलता है। शांत मन से की गई पूजन कुंडली में उग्र रूप धारण किए हुए मंगल को शांत करती है। यहां भगवान की पूजन अर्चन की बात की जाए तो सुबह 6 बजे मंगल आरती होती है लेकिन मंगलवार के दिन मंदिर में अलग ही नजारा देखने को मिलता है। वाहन और भूमि की प्राप्ति समेत मंगल दोष शांत करने के लिए श्रद्धालु पूजन अर्चन करने का इंतजार करते दिखाई देते हैं।

जो भी श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए उज्जैन पहुंचते हैं वह मंगलनाथ के दर्शन करने जरूर जाते हैं, यह मंदिर देशभर में खास पहचान रखता है। पहले यह मंदिर कुछ सीढ़ियां चढ़ने के बाद एक चबूतरे पर स्थापित था लेकिन अब इसका विस्तारीकरण कर दिया गया है और यह भव्य बन चुका है।


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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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