अजब MP का गजब शिवराज! घोड़ी पर बैठकर स्कूल जाता है पांचवी का छात्र, वजह हैरान कर देगी

Gaurav Sharma
Published on -

खंडवा,डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश जितना अजब है उतने ही गजब यहां के किस्से हैं। अक्सर छोटे बच्चे स्कूल (School) जाने के लिए या तो साइकिल (Cycle) का उपयोग करते हैं या तो फिर किसी और माध्यम जैसे कि स्कूल बस, स्कूल वैन, ऑटो से स्कूल पहुंचते हैं, लेकिन हम जिस पांचवी कक्षा में पढ़ने वाले छात्र की बात कर रहे हैं वह स्कूल (School) ना तो साइकिल से जाता है ना ही पैदल, वह घोड़ी पर बैठकर डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित स्कूल पहुंता है। दरअसल खंडवा (Khandwa) के बोराड़ीमाल के रहने वाले किसान देवराम यादव का 12 साल का बेटा शिवराज (Shivraj) कक्षा पांचवी में पढ़ता है। शिवराज का किड्स पब्लिक स्कूल (Kids Public School) गांव से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर है। शिवराज रोज घोड़ी पर बैठकर अपने स्कूल जाता है।

ये भी पढ़े-शिवराज सरकार की बड़ी योजना, आंगनवाड़ी केंद्रों को दिया जाएगा यह महत्वपूर्ण कार्य

शिवराज के भविष्य का था सवाल

शिवराज के घोड़ी पर बैठकर स्कूल जाने को लेकर किसान देवराम कहते हैं कि उनके बेटे को गाड़ी पर बैठने से डर लगता है। उसे यह डर लगता है कि कहीं उसका एक्सीडेंट (Accident) ना हो जाए। वहीं कोरोना का कारण लगे लॉकडाउन (Lockdown) के बाद से ही स्कूल बसें (School Buss) बंद है। स्कूल चालू होने के बाद बेटे को स्कूल भेजने के लिए हमारे पास कोई साधन नहीं था, जिससे हमें उसकी पढ़ाई को लेकर चिंता होने लगी था। क्योंकि शिवराज गाड़ी (Vehicle) पर बैठ कर स्कूल जाने को तैयार नहीं था। शिवराज के भविष्य के मद्देनजर हमने उसके लिए घोड़ी का इंतजाम किया।

अजब MP का गजब शिवराज! घोड़ी पर बैठकर स्कूल जाता है पांचवी का छात्र, वजह हैरान कर देगी

शिवराज और घोड़ी में है अच्छी दोस्ती

आगे शिवराज की पता बताते हैं कि यह घोड़ी तब खरीदा था जब यह 3 महीने का था यह करीबन हमने ₹1000 में खरीदा था। शिवराज और घोड़ी के बीच अच्छी खासी दोस्ती हो गई है जब भी वह शिवराज को देखता है तो वह खुश हो जाती है और उसे आवाज देने लगता है मानो कि वह उसे बुला रही हूं। करीबन 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार (Speed) से घोड़ी दौड़ती है।

क्या कहता है शिवराज,जानें

वहीं शिवराज कहता है कि स्कूल जाने के लिए घरवाले घोड़ी पर बैठा देते है और स्कूल पहुंचकर टीचर या ओटले के साहरे घोड़ी से उतर जाता हूं। शिवराज आगे कहता है कि मैं गाड़ी पर इसलिए नहीं बैठता हूं क्योंकि मुझे एक्सीडेंट (Accident) का डर सताता है। इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण भी होता है। वहीं एक बार गाड़ी से स्कूल पहुंचा था तो लेट हो गया था। लेट होने पर टीचर ने कहा कि अपने साधन से स्कूल आया करों सब से ही घोड़े पर बैठकर स्कूल जाता हूं।


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

Other Latest News