ग्वालियर में “लाल भवन” पर फहराया झंडा, मजदूर किसान एकता के रूप में मन रहा “मई दिवस”

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। श्रमिकों को सम्मान देने के लिए 1 मई को मनाये जाने वाले श्रमिक दिवस अर्थात मई दिवस (May Day) के आयोजनों पर इस साल भी कोरोना (Corona) का साया रहा।  श्रमिकों के समर्पण, उनकी लगन, पूंजीवादी युग में उनके दबते अधिकारों को उजागर करने की बात पिछले साल की तरह इस साल भी नहीं हो सकी।  लेकिन सीटू ने ग्वालियर स्थित सीटू कार्यालय “लाल भवन” पर अपना झंडा फहराया।

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ग्वालियर में मई दिवस (May Day) के मौके पर सीटू कार्यालय (Citu Office) पर शनिवार सुबह किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष जसविंदर सिंह ने झंडा फहराया। इस अवसर पर मौजूद  सीटू के प्रदेश अध्यक्ष रामविलास गोस्वामी ने कहा कि आज देश का अन्नदाता किसान दिल्ली के बॉर्डर पर पिछले पांच महीने से ज्यादा से समय के कृषि कानूनों को वापिस लेने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहा है, उधर अडानी अम्बानी के खेती किसानों सौपने की जिद में मोदी सरकार कानून वापिस लेने को तैयार नही है। सीटू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा केंद्र की मोदी सरकार ने मजदूरों के 44 श्रम कानूनों को खत्म करके चार श्रम कोड बना दिये हैं  जिसकी खिलाफत देश का मजदूर वर्ग कर रहा है इस लिए इस वर्ष का मजदूर दिवस मजदूर किसान एकता के रूप में मनाया जा रहा है।

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सभा को किसान नेता अखिलेश यादव ने भी संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान हालातों में एक बार फिर साबित हो गया है कि एक बेहतर समाज व्यवस्था केवल समाजवादी व्यवस्था और सरकारें ही दे सकती है, केरल राज्य इसका मुख्य उदाहरण है, जो कि कोविड महामारी में अपने राज्य की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध रहा है, उन्होंने ग्वालियर में भी वर्तमान समय मे चलाये जा रहे राहत कार्यो की जानकारी देते हुए कहा कि ग्वालियर में अपनी पूरी क्षमता के साथ पीड़ित मानवता के हित में कार्य किये जाते रहेंगे।  सभा की अध्यक्षता सीटू जिला अध्यक्ष कमलेश शर्मा, ने की सभा का संचालन मनोज द्वारा दिया गया।  इस अवसर पर भगवान दास सैनी, श्याम यादव, राजेन्द्र सविता, गणेश राठौर, मोतीलाल नामदेव, मनीष नामदेव, संतोष अग्र आदि उपस्थित थे


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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