कर्मचारियों को हफ्ते में करना होगा 4 दिन काम, 3 दिन मिलेगी छुट्टी, जल्द जारी होगा नोटिफिकेशन

Gaurav Sharma
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नई, दिल्ली/ भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) नौकरीपेशा लोगों (Job worker) के लिए एक नई सौगात लाने की तैयारी कर रही है। श्रम मंत्रालय (labor Ministry) कर्मचारियों के लिए काम के घंटों को फ्लैक्सिबल (Flexible) बनाने की तैयारी कर रहा है, जिसके तहत कर्मचारियों को हफ्ते में 4 दिन काम करना होगा और 3 दिन छुट्टी (3 days Week Off) मिलेगी। इस नियम को लेकर सरकार जल्द ही अधिसूचना (Notification) जारी कर सकती है। गौरतलब है कि बीते साल संसद (Parliament) में कामगारों से जुड़े चार बिल पारित (Four bills passed) किए गए थे, जिसमें से वेतन कोर्ट से लेकर सामाजिक सुरक्षा तक के मुद्दे शामिल थे।

सहमति होगी जरुरी

अभी तक सभी कंपनियों में हर दिन 8 घंटें और हफ्ते में 6 दिन काम करना होता था, जिससे हफ्ते भर में 48 घंटे का टारगेट पूरा किया जा सके। साथ ही इसी बीच 1 दिन की छुट्टी मिलती है। वही इस पूरे प्रस्ताव को लेकर केंद्रीय श्रम सचिव अपूर्व चंद्रा का कहना है कि कर्मचारियों के लिए तय किए गए 48 घंटे तक ही काम करने की सीमा को फ्लैक्सिबल बनाया जाएगा। यानी कि अगर कोई कर्मचारी 12 घंटे काम करके 4 दिन में ही हफ्ते के 48 घंटे का काम कर लेता है तो उसे 3 दिन की छुट्टी दी जा सकती है। इसका मतलब यह है कि हफ्ते में 5 से 6 दिन तक कर्मचारी को काम करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पर इस विषय में कंपनी और कर्मचारियों की सहमति होना आवश्यक है।

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5 घंटे से ज्यादा लगातार काम नहीं कर सकते कर्मचारी

इसके साथ ही प्रस्ताव में बताया गया है कि कोई भी कर्मचारी 5 घंटे से ज्यादा लगातार काम नहीं कर सकता। इसके साथ ही उसे आधे घंटे का ब्रेक भी लेना होता है। बता दें कि ऐसी खबरें भी सामने आई थी कि सरकार द्वारा एक प्रस्ताव तैयार किया गया है जिसके अनुसार हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन 2020 और कोड ऑन ऑक्यूपेशनल सेफ्टी (Code on occupational safety) के तहत मौजूदा वर्किंग अवर्स (Working Hours) 10.5 घंटे से बढ़ा कर 12 किया जा सकता है। चंद्रा कहते हैं कि कंपनियों को शिफ्ट में काम करने को लेकर मंजूरी दी जा सकती है। 12 घंटे की शिफ्ट करने वालों को हफ्ते में 4 दिन काम करने को लेकर छूट मिल सकती है, तो वहीं 10 घंटे की शिफ्ट करने वालों को हफ्ते में 5 दिन काम करना होगा। वही 8 घंटे की शिफ्ट करने वालों को सप्ताह में 6 दिन काम करना होगा।

कंपनियों को दी गई फ्लेक्सिबिलिटी

केंद्रीय श्रम सचिव अपूर्व चंद्रा आगे बताते हैं कि कोई भी कंपनी अगर हफ्ते में वर्किंग अवर्स के घंटे को कम करना चाहती है तो उसके लिए उसे सरकार से मंजूरी लेना अनिवार्य है। फिलहाल 48 घंटे के नियम अनुसार हफ्ते में 6 दिन कामकाजी होते हैं, यानी कि रोजाना 8 घंटे काम करना होता है। चंद्रा बताते हैं कि वर्किंग अवर्स को 12 घंटे बढ़ाने को लेकर कई तरह की चिंताएं जताई जा चुकी है। इन चिंताओं के मद्देनजर कंपनियों को यह फ्लेक्सिबिलिटी दी गई है कि वह अपने अनुसार हफ्ते के काम के दिनों में फेरबदल कर सकती हैं।

सरकार से नहीं लेनी पड़ेगी इजाजत

केंद्रीय श्रम अपूर्व चंद्रा आगे कहते हैं कि नियमों में कई बदलाव किए जाएंगे, जिसके लिए कर्मचारियों और कंपनी दोनों से ही सहमति ली जाएगी। ऐसे मामलों में कंपनी को कर्मचारी को 3 दिन की पैड लीव देना अनिवार्य होगा। कोड ऑन ऑक्यूपेशनल सेफ्टी और हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन 2020 यह सभी कंपनियों फैक्ट्रियों पर लागू किया जाएगा। इसके लागू होने के बाद कंपनियों को काम के घंटों में बदलाव करने को लेकर सरकार से इजाजत लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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