राज्य के लाखों कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर, एनपीएस पर नया अपडेट, नियम में बदलाव! अब इस तरह मिलेगा लाभ

इसके तहत पेंशन फंड मैनेजर चयन का विकल्प राज्य के कर्मचारियों को भी रहेगा। कर्मचारी पेंशन फंड रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) में रजिस्टर्ड पेंशन फंड मैनेजरों में से किसी एक का विकल्प चुन सकेंगे।

Pooja Khodani
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National Pension Scheme: मध्य प्रदेश के लाखों कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। राज्य की मोहन यादव सरकार ने पुरानी पेंशन बहाली की उठती मांग के बीच 4.59 लाख एनपीएस कर्मचारियों को नया ऑफर दिया है।मोहन सरकार ने पेंशन फंड का पैसा शेयर मार्केट में लगाने की लिमिट को 15 से बढ़ाकर 50% कर दिया है। इसके साथ ही कर्मचारियों को फंड मैनेजर का चुनाव करने की भी अनुमति दी है। इससे अब कर्मचारी अपने हिसाब से फंड मैनेजर का सिलेक्शन कर पेंशन के अंशदान को इसमें निवेश किया जा सकेगा।

क्या लिखा है वित्त विभाग के आदेश में

वित्त विभाग मध्य प्रदेश द्वारा ने समस्त कलेक्टर, संभागीय कमिश्नर एवं विभागों के प्रमुख अधिकारियों के नाम जारी पत्र में कहा है कि शासकीय कर्मचारी NPS के तहत उनके खाते में मौजूद राशि के इन्वेस्टमेंट के लिए अपने फंड मैनेजर का चयन कर सकते हैं और अपने इन्वेस्टमेंट का विकल्प का चुनाव कर सकते हैं।इसके तहत पेंशन फंड मैनेजर चयन का विकल्प राज्य के कर्मचारियों को भी रहेगा। कर्मचारी पेंशन फंड रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) में रजिस्टर्ड पेंशन फंड मैनेजरों में से किसी एक का विकल्प चुन सकेंगे। इसमें एक साल में सिर्फ एक एजेंट का ही सिलेक्शन किया जा सकेगा. कर्मचारियों को निवेश के लिए विकल्प रहेंगे।

इस तरह चलेगी पूरी प्रक्रिया

  • राज्य के NPS योजना के कार्मिकों को भी PFRDA द्वारा अधिकृत पेंशन फंड मैनेजरों में से किसी एक पेंशन फंड मैनेजर का चयन करने का विकल्प उपलब्ध होगा।
  • अभिदाता एक वित्तीय वर्ष में एक बार इस विकल्प का उपयोग कर सकेगा।विकल्प का चयन न करने की स्थिति में वर्तमान प्रचलित डिफाल्ट व्यवस्था पूर्ववत ही उपलब्ध रहेगी।
  • राज्य के NPS अभिदाताओं को निवेश के लिए शासकीय अभिदाता उच्चतर प्रतिफल के लिए विकल्प का चयन करते हैं, उन्हें जीवनचक्र पर आधारित निम्नांकित विकल्प उपलब्ध होंगे, परंपरागत जीवनचक्र निधि (Conservative Life Cycle) ,जिसमें इक्विटी में निवेश की अधिकतम सीमा 25% (LC 25) निर्धारित है ।
  • सामान्य जीवन चक्र निधि (Modrate Life Cycle), जिसमें इक्विटी में निवेश की अधिकतम सीमा 50% (LC 50) निर्धारित है।
  • शासकीय अभिदाता जो न्यूनतम जोखिम के साथ निर्धारित प्रतिफल के विकल्प का चयन करते हैं, को सरकारी प्रतिभूतियों में 100% निवेश करने का विकल्प उपलब्ध रहेगा।
  • अभिदाताओं को वर्तमान प्रचलित (डिफाल्ट) निवेश पद्धति का विकल्प स्वतः उपलब्ध होगा।अभिदाताओं को विकल्प के उपयोग संबंधी प्रक्रिया के दिशा-निर्देश पृथक से जारी किये जायेंगें।

केन्द्र के बाद अब MP में लागू हुई ये व्यवस्था

बता दे कि एमपी में नेशनल पेंशन स्कीम 1 जनवरी 2005 के बाद नियुक्त कर्मचारियों को दी जा रही है। एनपीएस में 10 फीसदी कर्मचारी और 14 फीसदी दिए अंशदान राज्य सरकार का रहता है।कई राज्यों में ओपीएस लागू होने के बाद 2019 में केन्द्र सरकार ने एनपीएस कर्मचारियों को अपने हिसाब से फंड मैनेजर चुनने का विकल्प दिया है और अब मध्यप्रदेश में भी इसे अब लागू किया गया है। अब तक कर्मचारियों की पेंशन के अंशदान को सिर्फ SBI, UTI और LIC में ही निवेश का मौका था लेकिन अब इस राशि को एसबीआई, यूटीआई और एलआईसी के अलावा अन्य कंपनियों में निवेश का रास्ता खुलने से कर्मचारियों को अच्छा फायदा होगा।

क्या है NPS, किस तरह मिलता है लाभ

  • NPS एक स्वैच्छिक, अंशदान सेवानिवृत्ति बचत योजना है। यह हितग्राही के कामकाजी जीवन के दौरान बचत की प्रवृत्ति को सक्षम करने के लिए बनाई गई है।
  • राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत, प्रत्येक हितग्राही “सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी” (CRA) के साथ एक खाता खोलता है, जिसकी पहचान एक PRAN नंबर के माध्यम से की जाती है।
  • NPS एक कंट्रीब्यूटरी स्कीम है, जिसमें कर्मचारियों को अपने वेतन का 10% हिस्सा देना होता है। सरकार कर्मचारी के NPS खाते में 14% भाग डालती है।
  • NPS के तहत सेवानिवृत्ति पर पेंशन पाने के लिए NPS फंड का 40 फीसदी निवेश करना होता है। सेवानिवृत्ति के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं होती।
  • NPS शेयर बाजार पर आधारित है। इसमें महंगाई भत्ते का प्रावधान शामिल नहीं है।NPS में सेवा के दौरान कर्मचारी की मृत्यु होने पर उनके परिजनों को कुल वेतन का 50% पेंशन के तौर पर देने का प्रावधान है।
  • रिटायरमेंट पर शेयर बाजार के अनुसार जो भी पैसा मिलेगा,आपको उसपर टैक्स देना होता है।NPS में रिटायरमेंट के समय ग्रेच्युटी का कोई स्थायी प्रावधान नहीं है, 6 महीने के उपरांत मिलने वाला महंगाई भत्ता (DA) लागू नहीं होता है।

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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