गुना, संदीप दीक्षित। शिवराज सरकार बेटियों को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बेटियों के जन्म से लेकर उनके विवाह तक की फ़िक्र मप्र की शिवराज सरकार कर रही है लेकिन बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा बुलंद करने वाले मध्य प्रदेश में अभी भी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ बेटियां खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हियँ इतना ही नहीं मनचलों से तंग आकर वे पढ़ाई तक छोड़ने के लिए मजबूर हैं।
मध्य प्रदेश के गुना जिले में रहने वाली एक मजबूर मां मनचलों और दबंगों की शिकायत लेकर दर दर भटक रही है , जब उसे पुलिस से कोई मदद नहीं मिली तो वो कलेक्टर के पास शिकायत लेकर पहुंची। गुना के बूढ़े बालाजी क्षेत्र में रहने वाली सरोज नामक महिला ने कलेक्टर की जनसुनवाई में उसकी बेटी वर्षा को परेशान करने वालों की शिकायत की है।
कलेक्टर फ्रेंक नोबल ए को अपनी व्यथा सुनाते हुए परेशान मां ने कहा कि उनके पास में रहने वाला शिवम माहौर उसकी बेटी को रास्ता चलते परेशान करता है, उसका स्कूल जाना मुश्किल है। मेरा पति काम पर चला जाता है, घर में हम अकेले रहते हैं। मेरे जेठ के लड़के ने जब विरोध किया तो उसकी बेल्टों से पिटाई की।
पूरा परिवार हमें परेशान कर रहा है, कोतवाली गए तो कोई सुनवाई नहीं हुई। मेरी बेटी ने 10वी की पढ़ाई की है इस साल 11वी में जाती लेकिन उसने बोला कि मुझे शिवम परेशान करता है मैं स्कूल नहीं जा सकती। मैंने उसकी पढ़ाई छुड़वा दी , मुझे चिंता है कि कैसे मेरी बेटी चारदीवारी में कैद रहेगी कैसे उसकी पढ़ाई होगी कैसे उसकी शादी होगी।
पीडि़ता की मां ने कलेक्टर से उन्हें सुरक्षा दिलवाने व आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। शिकायकर्ता का कहना है कि आरोपी खुलेआम धमकियां दे रहा है लेकिन पुलिस कोई सुनवाई नहीं कर रही। बहरहाल बेटियों की शिक्षा से लेकर उनकी सुरक्षा तक का दावा करने वाली मप्र सरकार का ये भी एक काला सच है जहाँ आज भी मनचले बेटियों को राह चलते परेशान करते है और वो पढ़ाई छोड़ देती है लेकिन जिम्मेदार आंख बंद कर मौन रहते है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....