भ्रष्ट अफसर पर लोकायुक्त का शिकंजा, 40,000 रुपये की रिश्वत लेते सहकारिता इंस्पेक्टर गिरफ्तार

Atul Saxena
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गुना, संदीप दीक्षित। मप्र विपणन सहकारिता संस्था मर्यादित के इंस्पेक्टर आरके गांगिल को लोकायुक्त पुलिस ग्वालियर (Gwalior lokayukta police) की टीम ने 40 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। इंस्पेक्टर ने अपने विभाग के ही डीआर कोर्ट में चलने वाले मुकदमे में आवेदक के पक्ष में फैसला कराने के नाम पर रिश्वत मांगी थी। क्योंकि उनकी फाइल को लंबे समय से लंबित रखा गया था।

भ्रष्ट अफसर पर लोकायुक्त का शिकंजा, 40,000 रुपये की रिश्वत लेते सहकारिता इंस्पेक्टर गिरफ्तार

इस मामले में बमोरी विपणन सहकारिता संस्था के प्रबंधक सतीष बैरागी ने 10 अक्टूबर को लोकायुक्त में शिकायत की थी। इसकी लोकायुक्त ने टैपिंग कराई, इसके बाद मुकदमा दर्ज किया गया। फिर शनिवार को पुलिस 10 से 11 लोगों की टीम ने मप्र विपणन सहकारिता विभाग में पहुंचकर इंस्पेक्टर को 40 हजार रुपए लेते हुए दबोच (Cooperative inspector arrested taking bribe) लिया। इससे पहले 40 हजार रुपए इंस्पेक्टर पहले भी ले चुका था।

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दरअसल बमोरी विपणन संस्थान की शाखा में एक प्रबंधक की नियुक्ति की बहाली को लेकर विवाद चल रहा था। लघुउपज फतेहगढ़ में विशाल किरार प्रबंधक हैं। इससे पूर्व अतीक कुरैशी कार्यरत थे। जिनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई थी। अतीक कुरैशी इसके खिलाफ विभाग के कोर्ट में गया, जहां से उसकी सेवाएं बहाल कर दी गई। इन दोनों का ही प्रकरण डीआर कोर्ट में चल रहा था।

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लोकायुक्त इंस्पेक्टर कवीन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि सहकारिता इंस्पेक्टर आरके गांगिल द्वारा अतीक कुरैशी के बहाली का आदेश खारिज कराने और विशाल के पक्ष में फैसला कराने के लिए रिश्वत मांगी जा रही थी। प्रबंधक सतीश बैरागी से 80 हजार रुपए की मांग की जा रही थी। सहकारिता इंस्पेक्टर गंगील 40 हजार रुपये पहले ले चुका था और 40 हजार की मांग बार बार कर रहा था। इस वजह से 3 माह से यह प्रकरण को अटकाया गया था। जब मामले की शिकायत लोकायुक्त एसपी कार्यालय ग्वालियर में की तो सहकारिता इंस्पेक्टर आरके गांगिल को आज ग्वालियर लोकायुक्त पुलिस ने रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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