महिला पुलिस ने छात्राओं और बच्चियों को महिला अपराध व “गुड टच-बेड टच” को लेकर किया जागरूक, बताया “बेटी की पेटी” का महत्व

Atul Saxena
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Gwalior News

Gwalior News : बढ़ते महिला अपराधों को रोकने के लिए सामाजिक जागरूकता बहुत बड़ा उपाय है, इसी के साथ साथ महिलाओं और छात्राओं को अपराधों और उनके लिए बने कानूनों की जानकारी होना, बच्चियों को “गुड टच-बेड टच” के बारे में जानकारी होना भी बहुत जरूरी है, ग्वालियर की महिला पुलिस ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए जागरूकता अभियान चला रखा है ।

ग्वालियर में महिला पुलिस का जागरूकता अभियान 

ग्वालियर पुलिस शहर में महिला जागरूकता अभियान चला रही है, डीएसपी महिला सुरक्षा किरण अहिरवार अपनी टीम को विभिन्नस्कूल, कॉलेज, सार्वजनिक स्थानों और बस्तियों में भेज कर महिलाओं, छात्राओं और छोटी बच्चियों को महिला अपराधों के प्रति जागरूक कर रही हैं।

गर्ल्स कॉलेज पहुंचकर छात्राओं की महिला अपराधों को लेकर किया अवेयर 

आज महिला पुलिस की टीम मुरार क्षेत्र में विजयाराजे शासकीय गर्ल्स कॉलेज पहुंची निर्भया मोबाइल की उप निरीक्षक मधु बंसल  ने छात्राओं को आजकल हो रहे अपराधों, महिला संबंधी तथा “गुड टच-बेड टच” के संबंध में जानकारी देकर जागरूक किया।

डायल 100, महिला हेल्पलाइन, बेटी की पेटी का महत्व समझाया  

महिला पुलिस ने छात्राओं को मध्य प्रदेश पुलिस की डायल 100/112 सेवा तथा 1090 महिला हेल्पलाइन की भी जानकारी दी और बताया कि वे कैसे इसकी मदद ले सकती हैं, छात्राओं को समझाया गया कि किसी भी आपात स्थित में तत्काल पुलिस को सूचित करें। छात्राओं को  शहर में लगाई गईं “बेटी की पेटी” के संबंध में जानकारी दी गई कि वह किस प्रकार अपनी शिकायत पेटी में डाल सकती हैं।

चौराहे पर बच्चियों को खिलाई गजक, महिलाओं को गुड टच-बेड टच को लेकर जागरूक  

उप निरीक्षक मधु बंसल ने इसके बाद निर्भया मोबाइल टीम के साथ फूलबाग बारादरी पर मजदूर वर्ग की महिला व बच्चियों को महिला संबंधी अपराधों के संबंध में जानकारी दी, उन्हें भी गुड टच-बेड टच के बारे में जागरूक किया गया, मजदूर वर्ग की महिलाओं को भी समझाया गया कि आपात स्थिति में किस प्रकार पुलिस को शिकायत करनी है। महिला पुलिस ने संक्रांति पर्व के चलते महिला व बच्चों को गजक भी खिलाई।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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