ग्वालियर महापौर और निगम आयुक्त की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, जांच में पाए गए दोषी

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ग्वालियर। कमलनाथ सरकार द्वारा पिछले दिनों कराई गई  छिंदवाड़ा,रीवा और ग्वालियर नगर निगमों में हुई गड़बड़ियों की जांच में महापौर और निगम आयुक्त दोषी पाए है। सरकार ने छिंदवाड़ा महापौर कांता सदारंग को आर्थिक क्षतिपूर्ति और पद से हटाने का नोटिस दे दिया है । सरकार ने छिंदवाड़ा निगम आयुक्त को भी नोटिस दिया है। अब ग्वालियर और रीवा और ग्वालियर महापौर और निगम आयुक्त को नोटिस दिए जाने की तैयारी है।

गौरतलब है कि तीनों नगर निगमों के खिलाफ आर्थिक अनियमितता सहित कई शिकायते कांग्रेस करती रही है लेकिन भाजपा की पिछली सरकार ने इस पर कभी एक्शन नहीं लिया। अब इस बार जैसे ही कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने 17 दिसंबर को  शपथ ली और तीनों नगर निगमों के खिलाफ 21 दिसंबर को जांच के आदेश हो गए। 28 दिसम्बर को भोपाल से आई समिति ने ग्वालियर नगर नोगम की फाइलों को अपने कब्जे में लिया। इसमें महापौर द्वारा दी गई आर्थिक सहायता, अमृत योजना के तहत सीवर,पानी,पार्क निर्माण पर किये गए भुगतान सहित वर्कशॉप में वाहनों पर खर्च किये गए डीजल की भी जांच की थी।

अब अधिकारियों द्वारा सबमिट की गई जांच के बाद ग्वालियर महापौर विवेक शेजवलकर और निगम  आयुक्त विनोद शर्मा कई मामलों में दोषी पाए गये हैं। जानकारी के अनुसार जो जांच रिपोर्ट ग्वालियर को लेकर दी गई है उसमें नियम विरुद्ध दैनिक वेतन भोगियों को नियमित किया जाना , महापौर एवं पार्षद निधि से छह वर्षों में करीब 1.35 करोड़ रुपये का अनियमित भुगतान किया जाना शामिल है साथ ही लीज आवंटन नहीं होने और दुकानों की प्रीमियम राशि नहीं मिलने से 8 करोड़ का नुकसान शामिल है। हालाँकि इस मामले में महापौर विवेक शेजवलकर का कहना है कि शासन की टीम ने क्या रिपोर्ट सौंपी है और उसपर क्या एक्शन हुआ है मुझे इसकी जानकारी नहीं हैं। उन्होंने किसी भी तरह का पत्र या नोटिस मिलने की बात से इंकार किया है।

 

 


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