ग्वालियर, अतुल सक्सेना। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) अल्प प्रवास पर ग्वालियर पहुंचे। उन्होंने ग्वालियर दुर्ग स्थित गुरुद्वारा दाताबंदी छोड़ पहुंचकर मत्था टेका और गुरु हरगोबिंद सिंह साहिब से प्रदेश की खुशहाली के लिए अरदास की। सीएम यहाँ गुरुद्वारे के 400वें साल के कार्यक्रम में शामिल होने आये थे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधवार को दोपहर बाद ग्वालियर के राजमाता विजया राजे सिंधिया एयरपोर्ट महाराजपुरा पर पहुंचे और यहाँ से सीधे ग्वालियर दुर्ग स्थित गुरुद्वारा दाताबंदी छोड़ पहुंचे। उन्होंने यहाँ मत्था टेक कर अरदास की। इस अवसर पर उन्हें सरोपा भेंट किया गया। कुछ देर गुरुद्वारे में रुकने के बाद मुख्यमंत्री वापस हवाई अड्डे के लिए रवाना हो गए। गौरतलब है कि ग्वालियर किले पर स्थित गुरुद्वारा दाताबंदी छोड़ इस साल स्थापना के 400 साल पूर्ण होने के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय कार्यक्रम कर रहा है जिसमें शामिल होने के लिए देश विदेश से श्रद्धालु यहां अरदास करने आ रहे हैं।
गुरु हरगोबिंद जी के अंगरखे की कलियों को पकड़कर बाहर आए थे 52 राजा
गुरु हरगोबिंद साहिब को मुगल बादशाह जहांगीर ने ग्वालियर किले में कैद कर रखा था कहा जाता है एक फकीर की सलाह पर जहांगीर ने गुरु हरगोबिंद जी को रिहा करने का हुक्म जारी किया। पर गुरु साहिब ने यह कहकर रिहा होने से इनकार कर दिया कि हमारे साथ कैद 52 राजा रिहा किए जाएँगे तभी हम बाहर आएँगे। इस पर जहाँगीर ने शर्त रखी कि जितने राजा गुरु हरगोविंद साहिब का दामन थाम कर बाहर आ सकेंगे वे रिहा कर दिए जाएंगे। बादशाह को लग रहा था कि 52 राजा इस तरह बाहर नहीं आ पाएंगे। पर दूरदृष्टि रखने वाले गुरु हरगोबिंद साहिब ने कैदी राजाओं को रिहा करवाने के लिए 52 कलियों का अंगरखा सिलवाया। गुरु जी ने उस अंगरखे को पहना और हर कली के छोर को 52 राजाओं ने पकड़ लिया। इस तरह सभी राजा गुरु गोबिंद साहिब के रिहा हो गए। गुरु हरगोविंद साहिब को इसी वजह से दाताबंदी छोड़ कहा गया। गुरुजी के रिहा होने की याद में हर साल दाताबंदी छोड़ दिवस मनाया जाता है। इस साल 400 वां दिवस मनाया जा रहा है। ऐतिहासिक ग्वालियर किले पर गुरुद्वारे की स्थापना की गई है, जो दुनियाँ भर में गुरुद्वारा दाताबंदी छोड़ के नाम से विख्यात है।