Gwalior News : राशन मिलते ही खिले चेहरे, बुजुर्गों ने भावुक होकर दिया आशीर्वाद

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। माताजी, बाहर आइए हम आपका राशन लेकर आए हैं। यह आवाज जब सरस्वती देवी ने सुनी और झांककर घर के बाहर देखा तो कुछ लोग हाथ में राशन के थैले लिए खड़े दिखे। सरस्वती देवी आश्चर्य में पड़ गई कि भला कोई उन्हें घर पर राशन देने क्यों आएगा? पर उनका यह आश्चर्य उस समय यकीन में बदल गया जब उन्हें मालूम पड़ा कि उनके दरवाजे पर अपर कलेक्टर टी एन सिंह अपने साथी अधिकारियों कर्मचारियों के साथ उन्हें राशन देने आये हैं। राशन की इस किट में 35 किलो अनाज, एक किलो शक्कर और एक  किलो नमक था। अधिकारियों ने जब सरस्वती देवी को बताया कि हम “आशीर्वाद योजना” के तहत आपके हिस्से का राशन लेकर आए हैं। अब से हर महीने आपको घर बैठे ही राशन मिलेगा। इतना सुनते ही उनकी ऑंखें भर आईं और उन्होंने भावुक होकर प्रशासन की टीम को आशीर्वाद दिया।

गौरतलब है कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह (Kaushlendra Vikram Singh) की पहल पर ग्वालियर जिले में आशीर्वाद योजना शुरू हुई है। पिछले हफ्ते ग्वालियर प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) ने इस योजना का शुभारंभ किया था। चलने-फिरने में असमर्थ 65 वर्ष से अधिक उम्र के असहाय बुजुर्ग एवं दिव्यांगजनों को सरकारी कर्मचारी इस योजना के तहत हर माह उचित मूल्य की दुकान से राशन लेकर उनके घर देने जाएँगे। रविवार को बहोड़ापुर स्थित मानवसेवा कुष्ठ आश्रम में निवासरत असहाय लोगों को राशन देने के लिए अपर कलेक्टर टी एन सिंह (TN Singh) के नेतृत्व में जिला प्रशासन का दल यहाँ पहुँचा। इस दल ने श्रीमती सरस्वती देवी सहित हरपाल सिंह, श्यामलाल, अमर सिंह, गणेशराम व धुकेश्वर को राशन की किट सौंपी। राशन प्राप्त होते ही असहाय बुजुर्गों के चेहरों पर ख़ुशी दौड़ गई। सरस्वती देवी सहित कुष्ठ आश्रम में रह रहे रहवासी भावुक हो गए और उन्होंने जी भर कर पूरी टीम को आशीर्वाद दिया। राशन देने के लिए कर्मचारी पीओएस मशीन लेकर भी पहुँचे थे, जिसके जरिए सभी का सत्यापन कराया गया। मानवसेवा कुष्ठ आश्रम के रहवासी बहोड़ापुर की शासकीय उचित मूल्य की दुकान नेहा महिला उपभोक्ता भंडार से जुड़े हैं।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....