Gwalior News : कंडम घोषित सरकारी बंगले की दीवार गिरी, चपेट में आये मासूम की मौत, अवैध रूप से रह रहा था परिवार

जो 4 फीट ऊँची और करीब 10 फीट लंबी दीवार गिरी है वो बिना नीव की थी उसे करीब 25 साल पहले PWD ने बनाया था इसे बंगले और सर्वेंट क्वार्टर के बीच में बनाया गया था जो मासूम साहिल के लिए जानलेवा साबित हुई, अब अधिकारी जिम्मेदारी तय करने के लिए के दूसरे के पाले में गेंद डाल रहे हैं।

Atul Saxena
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innocent child died

Gwalior News : ग्वालियर के थाटीपुर थाना क्षेत्र में एक कंडम घोषित सरकारी बंगले में रह रहे एक परिवार का चिराग दीवार में चपेट में आकर मौत की नींद सो गया, हादसा तब हुआ जब डेढ़ साल का मासूम दीवार के पास खेल रहा था और दीवार भरभरा कर गिर पड़ी, घटना होते ही चीख पुकार मच गई, दीवार के मलबे से बच्चे को परिजनों ने निकाला उसे अस्पताल लेकर भागे जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया , बताया जा रहा है कि परिजन बच्चे के शव को लेकर अपने गाँव टूंडला चले गए हैं,उन्होंने पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई।

कंडम घोषित सरकारी बंगले में अवैध रूप से रह रहा था परिवार  

थाटीपुर क्षेत्र में 100 से भी पहले बने रियासतकालीन सरकारी क्वार्टर और बंगले खतरनाक हो चुके हैं PWD इन्हें कंडम यानि खतरनाक, गिराऊ घोषित कर चुका है, पुनर्घनत्वीकरण योजना के तहत इन्हें खाली कराया जा रहा है इन्हीं में से एक बंगला नंबर 6 की दीवार ने मासूम साहिल बाथम की जान ले ली, बताया जा रहा है कि साहिल अपनी माँ मधु के साथ नाना नानी के घर आया था, उसके नाना राकेश बाथम यहाँ रह रहे थे, जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक राकेश यहाँ अवैध तरीके से रह रहे थे। 

घटना के समय दीवार के पास ही खेल रहा था डेढ़ साल का साहिल  

दुर्घटना की सूचना मिलते है थाटीपुर थाना पुलिस मौके पर पहुंची परिजनों से बात की लेकिन उन्होंने साहिल का पीएम कराने और पुलिस में शिकायत करने से इंकार कर दिया, बाद में बच्चे की माँ उसके नाना राकेश के साथ साहिल के शव को लेकर पिता इन्द्रजीत के पास टूंडला लेकर रवाना हो गए, बताया जा रहा है कि साहिल अपनी माँ का इकलौता बेटा था वो दीवार के पास खेल रहा था तभी ये दीवार उस्पत गिर पड़ी।

जिम्मेदारी से बचने एक दूसरे पर टाल रहे अफसर 

इस घटना में एक मासूम की जान चली गई लेकिन एक बड़ा सवाल ये छोड़ गई कि जब बंगला कंडम घोषित है तो कोई उसमें अवैध रूप से कैसे रह रहा था और क्या इसकी जानकारी PWD के अधिकारियों को नहीं थी , यदि उनको जानकारी थी तो उन्होंने खतरनाक बंगले में बाथम परिवार को रहने क्यों दिया? बताया जा रहा है कि जो 4 फीट ऊँची और करीब 10 फीट लंबी दीवार गिरी है वो बिना नीव की थी उसे करीब 25 साल पहले PWD ने बनाया था इसे बंगले और सर्वेंट क्वार्टर के बीच में बनाया गया था जो मासूम साहिल के लिए जानलेवा साबित हुई, अब अधिकारी जिम्मेदारी तय करने के लिए के दूसरे के पाले में गेंद डाल रहे हैं।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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