ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर एसपी अमित सांघी (Gwalior SP Amit Sanghi) ने आज तीन अलग अलग आदेश जारी कर जिले के 10 पुलिस अधिकारियों को “परिनिंदा” की सजा से दंडित (Gwalior SP punished 10 police officers for censure) किया है। आदेश में एसपी ने सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों के निराकरण, कॉम्बिंग गश्त सहित वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर लापरवाही करने वाले अधिकारियों को ये सजा दी है।
ग्वालियर पुलिस अधीक्षक कार्यालय से आज 14 नवंबर को एसपी ग्वालियर अमित सांघी के हस्ताक्षर से तीन अलग अलग आदेश जारी हुए। इन आदेशों में से एक आदेश में चार, दूसरे आदेश में पांच और तीसरे आदेश में एक पुलिस अधिकारी का नाम है जिन्हें परनिंदा की सजा सुनाई गई है।
एसपी ने पांच थाना प्रभारियों के नाम से जारी आदेश में कहा कि मेरे द्वारा 13 नवंबर को सीएम हेल्पलाइन पोर्टल पर 50 दिवस से अधिक समय से लंबित शिकायतों की समीक्षा की गई। जिसमें इंदरगंज, पड़ाव, मुरार, थाटीपुर और हजीरा के थाना प्रभारियों द्वारा पूर्व के निर्देशों के बाद भी शिकायतों के निराकरण में रुचि नहीं दिखाई और इस लापरवाही के सवाल पर कोई संतोषजनक जवाब भी नहीं दिया। इसलिए इनके विरुद्ध सेवा पुस्तिका में “परिनिंदा” की सजा से दंडित किया जाता है।
इसी तरह दो अन्य आदेश कॉम्बिंग गश्त में लापरवाही से सम्बंधित हैं। एसपी अमित सांघी ने थाना प्रभारी भितरवार, थाना प्रभारी डबरा देहात, थाना प्रभारी बेलगढ़ा, थाना प्रभारी बेहट और इंचार्ज थाना प्रभारी मुरार ने कांबिंग गश्त के निर्देशों पर ध्यान न देते हुए कोई भी प्रभावी कार्यवाही नहीं की। इसलिए इनके विरुद्ध सेवा पुस्तिका में “परिनिंदा” की सजा से दंडित किया जाता है।
ये है परिनिंदा का अर्थ और प्रभाव
परिनिंदा या चेतावनी की शस्ति, कर्मचारी के ऊपर विपरीत परिणाम रखने वाली हो सकती है। जब अनुशासनात्मक प्राधिकारी, आचरण पंजी में, कर्मचारी के विरुद्ध कदाचरण के परिणामस्वरूप शस्ति के रूप में, परिनिंदा या चेतावनी की प्रविष्टि करता है। तब उक्त प्रविष्टि, संबंधित कर्मचारी को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के पश्चात कदाचरण के परिणामस्वरूप, दंड अतिरिक्त कुछ अन्य नहीं मानी जा सकती है।
सरल शब्दों में समझा जाये तो, परिनिंदा या चेतावनी भी स्पष्ट रुप से शस्ति है। उल्लेखनीय है कि इस प्रक्रिया में कदाचरण को शासित करने वाले नियमों का पालन आवश्यक है। परिनिंदा पदोन्नति हेतु, वरिष्ठता को प्रभावित नहीं करती है। लेकिन विभागीय पद्दोन्नति समिति, समयमान या पद्दोन्नति देने पर विचार करते समय, परिनिंदा को लघु शास्ति होने के विचार में ले सकती है। कर्मचारी की पृष्ठभूमि को विचार में रखते हुए, पूर्ण रूप से यह समिति के निर्णय पर, निर्भर है।
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Atul Saxena
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