खबर का असर : मरीजों को मिली खराब खाने से निजात, थाली में आई खीर और छोले की सब्जी

Gaurav Sharma
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। खबरों को प्रमाणिकता के साथ अपने पाठकों तक पहुंचाने वाली एपी ब्रेकिंग न्यूज़ की खबर का एक बार फिर असर हुआ है। खबर के बाद क्वारेंटाइन सेंटर में भर्ती कोरोना पॉजिटिव मरीजों को अब उनकी सेहत बिगाड़ रहे खराब और बेस्वाद खाने से निजात मिल गई है। उन्हें थाली में ना सिर्फ छोले की सब्जी दी गई बल्कि सिमई की खीर परोसी गई। मरीजों ने इसके लिए एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ को धन्यवाद दिया है।

प्रदेश की जनता की आवाज बन चुकी और उनकी हर छोटी बड़ी समस्या में उनके साथ खड़ी रहने वाली एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ ने एक बार फिर अपना पत्रकारिता धर्म निभाया है। हमने 30 अगस्त को एक कोविड क्वारेंटाइन सेंटर में परोसे जा रहे खराब खाने की खबर पाठकों तक पहुंचाई थी। शहर के शासकीय आयुर्वेद हॉस्पिटल में बनाये गए क्वारेंटाइन सेंटर में भर्ती मरीज हिमांचली मिश्रा ने हमें सेंटर में दिये जा रहे खराब खाने की थाली और उसके बहिष्कार की वीडियो बनाकर भेजी थी।

हिमांचली ने आरोप लगाया था कि जिस बटरा की दाल को गाँव वाले जानवर को नहीं खिलाते वो दाल और कद्दू की सब्जी सेंटर में भर्ती मरीजों को दी जा रही है साथ में कच्ची रोटियां खिलाई जा रहीं हैं। जिससे मरीजों को गैस और पेट दर्द की शिकायत हो रही हैं नाराज मरीजों ने रविवार को खाने का बहिष्कार कर उसे डस्टबिन में फेंक दिया अगले दिन फिर यहाँ खाना परोसा गया तो हमने खाना भेजने वाले एमपी टुरिजम के होटल तानसेन में बात की तो उन्होंने बटरा की दाल को तुअर की दाल बताया लेकिन वे ये नहीं बता पाए कि दाल जमी हुई क्यों दी जा रही है और आठ दिन से कद्दू की सब्जी क्यों दी जा रही है।

खबर वायरल होने के बाद उसका असर हुआ और फिर मरीजों को अच्छा खाना भिजवाया गया। इस बार थाली में अच्छी रोटियों के साथ छोले की सब्जी दी गई। इतना ही नहीं सिमई की खीर भी दी गई। अच्छे खाने के बाद हिमांचली मिश्रा और अन्य मरीजों ने एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ को धन्यवाद दिया है और कहा कि आज ऐसी ही सकारात्मक पत्रकारिता की आवश्यकता है।
खबर प्रकाशित होने से पहले मिलने वाला खाना

खबर का असर : मरीजों को मिली खराब खाने से निजात, थाली में आई खीर और छोले की सब्जी

खबर प्रकाशित होने के बाद मिलने वाला खाना

खबर का असर : मरीजों को मिली खराब खाने से निजात, थाली में आई खीर और छोले की सब्जी


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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