JAH की बड़ी लापरवाही, फिर जिंदा मरीज को बताया मृत, इनके खिलाफ एक्शन

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर चंबल अंचल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जयारोग्य अस्पताल समूह (JAH) की एक बार फिर बड़ी लापरवाही सामने आई है, पांच दिन में दूसरी बार जिंदा मरीज को मृत बताकर उसकी जिंदगी से खिलवाड़ की कोशिश की गई। एक सप्ताह में दूसरी बड़ी लापरवाही सामने आने के बाद जयारोग्य अस्पताल समूह (Jayarogya Hospital Group) के अधीक्षक ने मेडिकल कॉलेज के डीन को पत्र लिखकर डॉक्टर्स और स्टाफ नर्स के खिलाफ निलंबन की कार्यवाही करने की अनुशंसा की है।

ग्वालियर (Gwalior News) चंबल अंचल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ मरीजों की सेहत को लेकर कितना संजीदा हैं इसके उदाहरण एक ही सप्ताह में दो बार मिल गया जब जिंदा मरीज को मृत बता दिया गया। 25 फरवरी को हुई घटना की चर्चा अभी जयारोग्य अस्पताल समूह में थमी नहीं है जिसमें एक्सीडेंट में घायल महिला जामवती को 25 फरवरी को डॉक्टर्स ने जिंदा हालत में ही मृत घोषित कर दिया था, मरीज के परिजनों को पीएम से पहले उसकी साँस चलती महसूस हुई तो उन्होंने हंगामा किया, डॉक्टर्स ने फिर भर्ती किया लेकिन कुछ घंटों बाद महिला ने दम तोड़ दिया।

ये मामला जयारोग्य अस्पताल समूह से निकलकर भोपाल तक पहुंचा , चिकित्सा शिक्षा मंत्री और विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों ने कड़े एक्शन की बात की, जाँच कमेटी की रिपोर्ट के बाद एक जूनियर डॉक्टर को दोषी मानते हुए उसके खिलाफ टर्मिनेशन की कार्यवाही की गई है।

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खास बात ये है कि इतनी बड़ी लापरवाही के बाद भी जयारोग्य अस्पताल समूह प्रबंधन ने कोई सबक नहीं लिया।  पांच दिन में दूसरी ऐसी ही एक घटना और सामने आ गई। इस बार न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती एक ब्रेन डेड मरीज को जिंदा हालत में मृत घोषित करते हुए उसका लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटा दिया। परिजनों ने जब हंगामा किया तो मामला सामने आया।

जानकारी के अनुसार मुरैना निवासी शिवकुमार उपाध्याय को परिजनों ने दो दिन पहले उन्हें इलाज के लिए जयारोग्य अस्पताल समूह के न्यूरोलॉजी विभाग के ICU में भर्ती कराया था। मंगलवार शाम करीब 6:30 बजे उन्हें मृत घोषित कर मेडिकल स्टाफ ने उनका लाइफ सपोर्ट सिस्टम, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर हटा दिया।

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अचानक ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, ड्रिप आदि हटाने से परिजन भड़क गए उन्होंने हंगामा किया कि अभी मरीज ठीक था तो लाइफ सपोर्ट सिस्टम क्यों हटा दिया अचानक मृत कैसे घोषित कर दिया, हंगामा बढ़ते देख वरिष्ठ न्यूरोसर्जन ने मरीज को चैक अप किया तो उसकी साँस चलती मिली। इस दौरान कारोब 20 से 25 मिनट निकल गए। मरीज को फिर लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा लेकिन देर रात मरीज ने दम तोड़ दिया।  परिजन भड़क गए और कार्यवाही की मांग करने लगे।

एक सप्ताह के अंदर दूसरी बार जिंदा मरीज को मृत बताने की बड़ी लापरवाही सामने आने के बाद जयारोग्य अस्पताल समूह के अधीक्षक डॉ आरकेएस धाकड़ ने गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ समीर गुप्ता को पत्र लिखकर वार्ड बॉय को बर्खास्त करने , दो स्टाफ नर्स को निलंबित करने और ड्यूटी डॉक्टर्स (एसआर,जेआर) पर कड़ी कार्यवाही करने की  अनुशंसा की है।  अधीक्षक ने डीन से इस मामले में एक जांच समिति भी गठित करने के लिए कहा है।

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उधर चर्चा ये हो रही है कि अस्पताल अधीक्षक जब वार्ड बॉय और नर्सेस के खिलाफ खुद भी एक्शन ले सकते है तो उन्होंने मेडिकल कॉलेज के डीन को कार्यवाही की अनुशंसा क्यों की? बहरहाल सूत्र बताते है कि अस्पताल अधीक्षक और मेडिकल कॉलेज के डीन के बीच कोल्ड वार चल रहा है जिसका खामियाजा मरीज भुगत रहे हैं।  अब देखना ये होगा कि भोपाल में बैठे चिकित्सा शिक्षा विभाग के आला अधिकारी जिंदा मरीज को मृत घोषित किये जाने जैसी गंभीर लापरवाही पर JAH के वरिष्ठ अधिकारियों पर का एक्शन लेते हैं।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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