झोला छाप डॉक्टर ने इंजेक्शन लगाया मरीज की मौत, परिजनों ने किया हंगामा, पुलिस ने क्लिनिक सील की, मामला दर्ज किया

झोलाछाप मवासी सिंह ने सुमित को इंजेक्शन लगाया, जिससे उसे चक्कर आने लगे और उसकी तबीयत बिगड़ गई। सुमित के परिजन उसे तुरंत हजीरा सिविल अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां उसकी मौत हो गई।

Gwalior News

Gwalior News : सरकार की सख्ती के बाद भी झोला छाप डॉक्टर प्रदेश में बेख़ौफ़ इलाज कर रहे हैं और मरीजों की जान के दुश्मन बन रहे हैं, ग्वालियर में एक बार फिर  झोला छाप डॉक्टर के इलाज से एक युवक की मौत हो गई, परिजनों का कहना है कि डॉक्टर के इंजेक्शन लगाते ही हमारे मरीज की हालत बिगड़ गई और उसने दम तोड़ दिया, परिजनों ने इसे लेकर हंगामा किया, पुलिस ने परिजनों को शांत किया और आरोपी डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।

सरकार का सख्त आदेश है कि प्रदेश में एक भी अवैध क्लिनिक संचालित नहीं होना चाहिए, कहीं भी कोई ऐसी चिकित्सा नहीं करे जो नियमों के विपरीत हो, सरकार ने इसकी जिम्मेदारी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को दी हुई है लेकिन सीएमएचओ अपनी जिम्मेदारी कितनी निभा रहे हैं इसका ताजा उदाहरण ग्वालियर में देखने को मिला है जहाँ एक झोला छाप डॉक्टर के इलाज से एक युवक की मौत हो गई है।

झोला छाप ने इंजेक्शन लगाया मरीज की मौत     

जानकारी के मुताबिक रेशम मिल प्रगति नगर निवासी 27 वर्षीय सुमित चौहान को अचानक सीने में दर्द हुआ था। वह कांचमील में क्लिनिक चलाने वाले मवासी सिंह के पास इलाज के लिए गया। झोलाछाप मवासी सिंह ने सुमित को इंजेक्शन लगाया, जिससे उसे चक्कर आने लगे और उसकी तबीयत बिगड़ गई। सुमित के परिजन उसे तुरंत हजीरा सिविल अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां उसकी मौत हो गई।

पुलिस ने क्लिनिक सील की, झोला छाप डॉक्टर पर मामला दर्ज 

सुमित की मौत से गुस्साए परिजनों ने पोस्टमार्टम के दौरान हंगामा भी किया । सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को समझाइश दी। टीआई हजीरा से शिव मंगल सिंह का कहना है कि पूरे मामले की जानकारी सीएमएचओ को दे दी गई है डॉक्टर के क्लिनिक से किसी प्रकार के डॉक्टरी सर्टिफिकेट के वैध दस्तावेज नहीं मिले हैं, क्लीनिक सील कर आरोपी डॉक्टर की तलाश शुरू कर दी गई है।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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