“महाराज” ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तलवार की नोक से छुआ शमी का पेड़, जनता ने लूटा सोना

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। आजादी के बाद देश में मौजूद रियासतों के विलय हो गया था, सिंधिया (Scindia) रियासत भी इसमें शामिल थी लेकिन इन रियासतों ने अपनी परम्परों को नहीं छोड़ा। ग्वालियर (Gwalior) में आज भी सिंधिया राजवंश के सदस्यों द्वारा रियासतकालीन परंपरा निभाई जाती है। सिंधिया राजवंश प्रमुख आज भी दशहरे (Scindia Dussehra Puja) पर शमी के पेड़ का पूजन करते हैं।

"महाराज" ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तलवार की नोक से छुआ शमी का पेड़, जनता ने लूटा सोना


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....