व्यापारी ने पुलिस को थमाए 20 हजार के सिक्के, वजह जानकर रह जायेंगे हैरान

Atul Saxena
Published on -

Gwalior News : अपराधियों को पकड़ने के लिए सड़क पर पसीना बहाने वाली पुलिस के पसीने पुलिस थाने में छूट गए, जी हाँ ये सच है। मामला ग्वालियर के कोतवाली थाने का है जहाँ बैठे पुलिस कर्मियों का एक वीडियो वायरल हो रहा है, वीडियो में पुलिसकर्मी टेबल पर बैठकर रेजगारी यानि सिक्के गिन रहे हैं, आपको बता दें कि ये सिक्के पूरे 20 हजार के है, आप समझ ही सकते हैं कि कितना पसीना आ रहा होगा। अब बताते हैं खबर के बारे में विस्तार से …..

पत्नी को मेंटेनेस नहीं दिया तो कोर्ट ने जारी किया वारंट  

दरअसल मामला पति पत्नी से जुड़ा हुआ है। जानकारी के मुताबिक एक मिष्ठान्न भंडार के संचालक व्यापारी बलदेव अग्रवाल और उनकी पत्नी के बीच कुटुंब न्यायालय में एक मामला विचाराधीन है। बलदेव को अपनी पत्नी को 5 हजार रुपये महीना मेंटेनेंस देना था जो वे नहीं दे रहे थे , जब ज्यादा समय हो गया तो कोर्ट से उनका वारंट जारी हुआ था उन्हें मेंटेनेस के 30 हजार रुपये जमा कराने के निर्देश कोर्ट ने दिए।

MP

पति ने कोर्ट में 30 हजार रुपये मेंटेनेस जमा करने की हामी भरी 

कोतवाली थाना पुलिस ने बलदेव अग्रवाल को गिरफ्तार कोर्ट में पेश किया जहाँ उन्होंने 30 हजार रुपये मेंटेनेंस देने के लिए तैयार हो गए और पुलिस थाने आकर रुपये दे दिए, लेकिन ये रुपये बोरी में भरकर लाये गए। चौंक गए ना आप, जी हाँ व्यापारी बलदेव 30 में से 10 हजार के नोट लेकर आये बाकी चिल्लर यानि रेजगारी अर्थात सिक्के लेकर पहुंचे जो बोरे में थे।

व्यापारी पति ने 30 में से 20 हजार के सिक्के पुलिस को दिए 

चूँकि ये तो तय नहीं था कि पैसा किस रूप में दिया जायेगा और फिर सिक्के लेने से इंकार करना भी भारतीय मुद्रा अधिनियम के तहत अपराध होता तो पुलिस अधिकारी ने सिक्के ले लिए और फिर इसे गिनवाने के लिए अपने स्टाफ को लगा दिया।

पुलिस को सिक्के गिनने में करनी पड़ी मशक्कत, वीडियो वायरल 

पुलिस की इस मशक्कत का वीडियो वायरल हो रहा है। कोतवाली थाना टी आई दामोदर गुप्ता ने कहा कि बलदेव अग्रवाल 30 हजार में से कुछ पैसा रुपये के रूप में और कुछ चिल्लर के रूप में लाये थे जिसे गिनकर न्यायालय में जमा करा दिया है।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


About Author
Atul Saxena

Atul Saxena

पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

Other Latest News