Cheetah death in Kuno MP : चीतों की मौत पर केंद्रीय वन मंत्री ने जताई संवेदना, बोले- सफल होगा ये प्रोजेक्ट

Cheetah In MP : कूनो नेशनल पार्क श्योपुर एमपी में बसाये गए चीतों की एक के बाद एक मौत से चिंतित मध्य प्रदेश का वन विभाग इसका गहराई से अध्ययन कर रहा है, देश के वन्य जीव और चीता एक्सपर्ट के साथ साथ इंटरनेश्नल एक्सपर्ट  भी चीतों की मौत पर चिंतन और मंथन कर रहे हैं, केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस बीच कहा कि हम संवेदनशीलता को स्वीकार करते हैं और विश्वास दिलाते हैं कि ये प्रोजेक्ट सफल होगा।

Cheetah death in Kuno MP : चीतों की मौत पर केंद्रीय वन मंत्री ने जताई संवेदना, बोले- सफल होगा ये प्रोजेक्ट

फारेस्ट ऑफिसर, यंग वेटेनरी डॉक्टर्स  मेहनत से काम कर रहे हैं : वन मंत्री 

ग्वालियर में भाजपा की संभागीय बैठक में शामिल होने आये केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि हमारे फारेस्ट ऑफिसर, यंग वेटेनरी डॉक्टर्स  मेहनत से काम कर रहे हैं, यह पहला साल है, जहां चीतों का ट्रांसलोकेशन हुआ है, यहाँ के मौसम और जलवायु का कुछ प्रभाव पड़ा है, उस पर काम चल रहा है, नामीबिया और साउथ एशिया के एक्सपर्ट से बातचीत चल रही है।

संवेदनशीलता को हम स्वीकार करते हुए और इसे सफल बनायेंगे  : भूपेंद्र यादव 

भूपेंद्र यादव ने कहा कि मैं विश्वास के साथ कह रहा हूँ, कूनो  के आसपास के लोगों की भावनाओं को देखते हुए कह रहा हूँ कि इस प्रोजेक्ट में पूर्ण गंभीरता से लगे हुए हैं, हर चीते की चिंता कर रहे हैं, हम चाहते हैं कि यह प्रोजेक्ट सफल हो, उन्होंने कहा कि ये लम्बा प्रोजेक्ट था जिसमें हर वर्ष चीते  आने हैं इसकी संवेदनशीलता को हम स्वीकार करते हुए और इसे सफल बनायेंगे।

वन मंत्री ने फिर दोहराया कूनो से शिफ्ट नहीं होंगे चीते  

चीतों को कूनो से शिफ्ट करने के किसी भी तरह के प्लान को ख़ारिज करते हुए वन मंत्री ने फिर कहा कि इन्हें शिफ्ट करने का कोई प्लान नहीं चल रहा, उन्होंने चीतों की मौत पर कहा कि मानसून के कारण जो कीड़े पनपते हैं उनसे संक्रमण हुआ है और  उससे दो चीतों की मौत हुई है हमने अपने एक्सपर्ट, नामीबिया दक्षिण अफ्रीका , इंटरनेश्नल एक्सपर्ट से भी बात की है और इस दिशा में आगे काम कर रहे हैं।

पीएम मोदी के जन्मदिन पर शुरू हुआ चीता प्रोजेक्ट 

गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर नामीबिया से आये 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़कर चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी, दूसरी खेप में दक्षिण अफ्रीका से 18 फरवरी को 12 चीते और आये थे। इसके कुछ दिन बाद एक मादा चीता ने चार शावकों को जन्म देकर इनका कुनबा बढ़ा दिया था, लेकिन अब तक 9 चीतों की मौत के बाद अब केवल एक शावक और 14 बड़े चीते और एक शावक बचे कूनो नेशनल पार्क में बचे हैं।

कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत

  • 27 मार्च को सबसे पहले किडनी में संक्रमण के चलते चार साल की मादा चीता साशा की मौत हुई।
  • 23 अप्रैल को नर चीता उदय की  मौत हो गई, मौत का कारण हार्टअटैक बताया गया। उदय को उसके बाड़े में लड़खड़ाकर चलते हुए अचानक बहोश होते देखा गया था।
  • 9 मई को बाड़े में दो नर चीतों अग्नि और वायु के साथ संघर्ष में मादा चीता दक्षा की मौत हो गई।
  • 23 मई को कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता सियाया (ज्वाला) के चार शावकों में से एक चीता शावक की मौत हुई।
  • 25 मई को चीता ज्वाला के दो अन्य शावकों की मौत हो गई।
  • 11 जुलाई को नर चीता तेजस की मौत हो गई। इसकी मौत का कारण ट्रॉमेटिक शॉक बताया गया।
  • 14 जुलाई को नर चीता सूरज की मौत हो गई, निगरानी दल को ये घायल अवस्था में मिला था।
  • 2 अगस्त को मादा चीता धात्री (टिबलिसी) की मौत हो गई ।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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