लापरवाही पर गिरी गाज: सेन्ट्रल जेल के अंदर की वीडियो वायरल, अधीक्षक निलंबित

Atul Saxena
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ग्वालियर, डेस्क रिपोर्ट। ग्वालियर सेन्ट्रल जेल (Gwalior Central Jail) में बंद NSUI जिला अध्यक्ष से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) की मुलाकात का मामला गरमा गया है। मुलाकात की वीडियो और फोटो मीडिया में आने के बाद सरकार ने इस पर एक्शन लिया है। मुलाकात के फोटो, वीडियो वायरल होने की घटना को जेल मेन्युअल के विरुद्ध मानते हुए सरकार ने ग्वालियर सेन्ट्रल जेल अधीक्षक को निलंबित (Suspended) कर दिया है।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सोमवार को ग्वालियर के प्रवास पर थे, वे इस दौरान कई कार्यक्रमों में शामिल हुए। अपने प्रवास के दौरान दिग्विजय सिंह स्थानीय कांग्रेस नेताओं के साथ ग्वालियर सेन्ट्रल जेल पहुंचे।  यहाँ उन्होंने जेल में बंद NSUI जिला अध्यक्ष शिवराज सिंह यादव से मुलाकात की। इस दौरान उनके साथ जिला अध्यक्ष डॉ देवेंद्र शर्मा सहित, स्थानीय विधायक, और तमाम कांग्रेस नेता शामिल थे।

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खास बात ये है कि बंदी शिवराज यादव की दिग्विजय सिंह से मुलाकात जेल अधीक्षक मनोज कुमार साहू के चैंबर में हुई।इस मुलाकात का वीडियो और फोटो वायरल हो गया तो मामले ने तूल पकड़ लिया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जेल डीजी से इस मामले में रिपोर्ट तलब की और एक्शन का निर्देश दिया।

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गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने सरकार के निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि जेल के अंदर की फोटो वीडियो वायरल होना जेल मेन्युअल के विरुद्ध है, इसलिए प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए ग्वालियर सेन्ट्रल जेल अधीक्षक मनोज कुमार साहू को निलंबित कर दिया है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता था कि 10 साल तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह को नियम प्रक्रिया का ज्ञान होगा ? लेकिन आश्चर्य है कि जेल के अंदर के फोटो वीडियो वायरल हो गए।

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आपको बता दें की पिछले दिनों फूलबाग चौराहे पर कांग्रेस के पुतला दहन कार्यक्रम के दौरान एक पुलिसकर्मी झुलस गया था , जिसके बाद पुलिस ने NUSI जिला अध्यक्ष शिवराज सिंह यादव सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था और गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। मुलाकात के बाद दिग्विजय सिंह ने इसे भाजपा सरकार की दमनकारी नीति बताया।  दिग्विजय सिंह ने दुर्घटना के बाद दर्ज हुए केस को झूठा केस भी बताया है।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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