नहीं हो रहा सब्जी मंडी में कोविड गाइडलाइन्स का पालन

Gaurav Sharma
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होशंगबाद/इटारसी,राहुल अग्रवाल। हमारे देश में नियम तो बनते है पर उनपर अमल नहीं होता है। ऐसा ही कुछ आज टारसी की सब्जी मंडी में देखने को मिला, जहां बडा से बोर्ड लगा रखा है कि बिना मास्क के कोई भी समान नहीं बेचा जाएगा, वहीं वहां मौजूद किसी भी सब्जी विक्रेता ने मास्क नहीं पहना हुआ था। वहीं जब इस बारे में मीडिया ने सब्जी विक्रेताओं ने बात कि तो उन्होंने कोई ना कोई बहाना देते हुए मास्क नहीं पहनने वाली बात पर से अपना पल्ला झाड़ लिया। किसी ने या तो सांस की शिकायात का बहाना बनाया तो किसी ने कहा कि उनका मास्क कहीं गिर गया।

प्रदेश में फैल रहे कोरोना वायरस के कहर को देखते हुए शासन-प्रशासन हर संभव तरीके से कोविड के संक्रमण को रोकने में जुटे हुए है। प्रशासन हर तरह से कोरोना की चेन तोड़ने में लगा हुआ है पर ऐसी लापरवाही से कैसे चेन टूटेगी। नगरपालिका CMO को चाहिए कि यहां निरन्तर रूप से नगरपालिका कर्मियों की ड्यूटी लगाई जाएं क्योंकि सबसे ज्यादा भीड़ सब्जी मंडी में ही होती है। रोजाना यहां हजारो लोग सब्जी लेने आते है क्योकि प्रशासन ने पूरे बाजार में फल सब्जी बेचने वालो को एक ही स्थान पर जगह दी है। तो पूरा शहर साथ ही आस पास के इलाकों के लोग यही सब्ज़ी लेने आते है। बता दें कि अब तक प्रदेश में कोरोना के कुल 1 लाख 33 हजार 918 कोविड के केस सामने आ चुके है, वहीं 19 हजार 807 केस एक्टिव केस है। कोरोना से ठीक होने वालों की संख्या 1 लाख 11 हजार 712 दर्ज की गई है, वहीं 2 हजार 399 लोगों की अब तक कोरोना से मौत हो चुकि है। वहीं होशंगाबाद जिले की बात कि जाए तो कुल कोरोना के 1 हजार 880 मामले दर्ज किए गए है, जिसमें से कुल 475 केस कोरोना के एक्टिव केस है। कोरोना से ठीक होने वाली की संख्या जहां 1 हजार 366 है तो वहीं अब तक जिले में कोरोना वायरस से मरने वालो की संख्या 39 दर्ज की गई है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।