हाथरस सामूहिक बलात्कार : सामाजिक संगठनों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

होशंगाबाद, राहुल अग्रवाल। उत्तरप्रदेश के हाथरस जिले के गांव धूलगढ़ी में एक मासूम बेटी के साथ कुछ दबंगों ने बलात्कार के बाद उसके शरीर के विभिन्न अंगों को काटा एवं उसकी हड्डियों को तोड़ दिया। करीब 15 दिन से जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही पीड़िता ने आज हार मान ली और दम तोड़ दिया। इस अमानवीय घटना से देशभर में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन जारी है। देशभर के सभी संगठनों की एक ही मांग है कि दोषियों को फांसी दो। अब देखना ये होगा कि बाल्मीकि समाज की बेटी को निर्भया जैसे न्याय मिलेगा या सिर्फ ये बलात्कार कांड भी दबकर रह जाएगा?

इसी बीच होशंगाबाद में जांगड़ा महासभा, बाल्मीकि पंचायत एवं तमाम सामाजिक संगठनों ने एक सुर में आवाज़ बुलंद करते हुए जिला कलेक्टर को महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर उक्त घटना की कड़ी निंदा की है। साथ ही उन्होंने मांग की है कि बेटी को न्याय दिलाने के लिए फास्ट ट्रेक कोर्ट में मुकदमा चलाया जाए एवं दोषियों को जल्द से जल्द फांसी की सजा सुनाई जाए। बता दें कि, 14 सितंबर को उत्तरप्रदेश के हाथरस जिले के धूलगढ़ी गांव की इस बेटी के साथ गांव के ही कुछ दबंगों ने पहले बलात्कार किया उसके बाद उसकी हड्डियां तोड़ दी थी। जिसकी वजह से वह अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में मौत से लड़ती हुई आज सुबह दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल भर्ती हुई और आज उसकी मौत हो गई।


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।