225 ट्रैक्टर लेकर निकले किसान, राष्ट्रीयपति के नाम सौंपा ज्ञापन

Gaurav Sharma
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होशंगाबाद, राहुल अग्रवाल। केंद्र सराकार(central governmement)  द्वारा पारित किए गए कृषि विधेयक (agriculture bill ) का विरोध (protest) देश के हर राज्य में जारी है। किसान और विपक्ष (Farmers and opposition) इस बिल का पुरजोर विरोध कर रहे है। वहीं सोमवार को देश के राष्ट्रीयपति रामनाथ कोविंद (Rashtrapati Ramnath Kovind) ने किसान बिल (Farmer bill) को मंजूरी दे दी है। वहीं सोमवार को ही केंद्र सरकार के कृषि अध्यादेश (Central government agricultural ordinance) को लेकर दिल्ली में कांग्रेस द्वारा विरोध प्रदर्शन (protest by congress) किया गया, प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस ने ट्रैक्टर (tractor burnt by congress) को जला दिया था। वहीं आज जिले की पिपरिया तहसील (pipariya tehsil of hoshangabad) में कांग्रेस द्वारा किसान बिल का विरोध करते हुए ज्ञापन सौंपा गया।

पूरा प्रदर्शन युवा कांग्रेस (Youth congress) के नेतृत्व में किया गया,जिसमें 225 ट्रैक्टर को लेकर लगभग 2 किलोमीटर तक की लंबी रैली निकालते हुए प्रदर्शनकारी तहसील कार्यालय पहुंचे, जहां सभी ने किसान बिल के विरोध में एसडीएम को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया गया। पूरा विरोध युवा कांग्रेस जिला अध्यक्ष आदित्य पलिया के नेतृत्व में किया गया। साथ ही किसानों के अधिकार ( for the rights of farmers) में जय किसान _जागो किसान _ के नारे भी लगाए गए। प्रदर्शनकारियों ने ज्ञापन में कृषि अध्यादेश को वापस लेने की मांग की । साथ ही MSP एवं स्वामीनाथन की रिपोर्ट (report of swaminathan) लागू करने की मांग को लेकर रैली निकाली गई।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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