स्वागत को तैयार सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, 7 माह बाद आज खुलेगें गेट

Gaurav Sharma
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होशंगाबाद, राहुल अग्रवाल। 7 महीने से बन्द सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (Satpura Tiger Reserve) के गेट आज सैलानियों के स्वागत के लिए खोल दिये गए है। कोरोना संकटकाल (Corona crisis) और बारिश (Rain) की वजह से 7 महीने से बंद गेट को बीच में 12 दिन के लिए खोला गया था पर सैलानी की संख्या बहुत कम होने के कारण दोबारा गेट बंद कर दिया गया था। यहां पर पर्यटक जंगल सफारी (Jungle safari) का आनंद भी उठा सकेंगे। एसटीआर में वन्यप्राणियों को देखने पर्यटक अन्य राज्य जैसे महाराष्ट्र,गुजरात,राजस्थान,तक से आते है। यहां गुजरात से सबसे ज्यादा पर्यटक आते है। यहां बाघ, तेंदुए, हिरण, बारहसिंगा, बायसन सहित अन्य वन्यप्राणी देखने को मिलते हैं। वही इस बार देनवा के बेकवाटर (Backwaters of denwa) में बोटिंग(boating) का आनंद भी पर्यटक ले सकेंगे। बारिश की वजह से देनवा में लबालब पानी भरा हुआ है। कोरोना के कारण इस बार वेदिशी पर्यटकों(foreign tourist) की संख्या कम रहेगी।

इस बार एसटीआर प्रबंधन ने कोरोना महाबारी को देखते हुए कुछ जरूरी नियम बनाए है

●एक जिप्सी की बुकिंग में अधिकतम 6 लोग बैठ सकते हैं। बशर्ते वह एक ही परिवार हों। अन्यथा अलग-अलग होने पर एक जिप्सी में सिर्फ 4 लोग ही पर्यटन कर सकेंगे।
● जंगल सफारी में 6 व्यक्तियों का एक राउंड का 4980 रुपया लिया जाता है, जिसमें 6 लोगों की 50 रुपए के हिसाब से 300 रुपए बाेटिंग चार्ज, 2700 गाड़ी किराया, 480 रुपए गाइड और 1500 रुपए पार्क फीस के लिए जाते हैं।
●हाथी के ऊपर जंगल सफारी करने के लिए आपको 1150 रुपए खर्च करने होंगे एक हाथी पर 2 लोग ही बैठ सकेंगे।
●बोटिंग करने का चार्ज 1 घंटे का 2880 रुपए है, एसटीआर में 5 नाव ,2 पेडल वोट,1 क्रूज़,22 जिप्सी है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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