कोरोना का कहर: इटारसी में व्यापारी स्वेच्छा से कर रहे अपनी दुकानें बंद

Gaurav Sharma
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होशंगाबाद/ इटारसी, राहुल अग्रवाल। कोरोना का संक्रमण इटारसी में लगातार बढ़ता ही जा रहा है। होशंगाबाद जिले के इटारसी में ही सबसे ज्यादा कोरोना के मरीज है और मृत्यु का ग्राफ यहां ज्यादा है। संक्रमण की संख्या का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रशासन के पास अब कंटेन्मेंट जोन बनाने तक के साधन नहीं है। जो साधन थे, वो पुराने कंटेन्मेंट जोन में ही लगे हुए है और इतना बल भी प्रशासन के पास नही है कि हर एक जोन में कर्मचारियों की ड्यूटी लगा सके। जिस वजह से इटारसी अब भगवान के भरोसे है। कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण को देखते हुए व्यपारियो की एक साथ आवाज उठ रही है कि शहर में अब लॉक डाउन लग जाना चाहिए।

आज सुबह इटारसी के वरिष्ठ समाजसेवी और गल्ला व्यवसायी संजय खंडेलवाल की कोरोना से मृत्यु हो जाने के बाद सुबह से ही सोशल मीडिया पर शहर में लॉकडाउन लगाने को लेकर पोस्ट वायरल हो रही है। वहीं इटारसी जैन समाज ने शनिवार से समाज की सभी दुकाने बन्द करने का निर्णय लिया है। ऐसे ही सभी समाज व व्यापारिक संगठनो के लोग निर्णय लेते जा रहे है। शहर में कोरोना के डर का माहौल इतना है कि लोग स्वेच्छा से अपनी अपनी दुकाने बन्द कर रहें।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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