इंदौर, आकाश धोलपुरे। मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में कोरोना उफान पर है और यहां हर रोज 200 से ज्यादा संक्रमित मरीज सामने आ रहे है। वही बुधवार को रिकार्ड 312 पॉजिटिव मरीज सामने आए है। ये आंकड़े तो चिंता बढ़ाने वाले है ही सही, लेकिन इनके अलावा इंदौर की चिंता का सबव ये खबर भी है जिससे ये साफ हो रहा है कि कोरोना की जंग को जीतकर घर लौटने वाले 2 प्रतिशत मरीजों की मौत हो रही है।
कोविड रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद पल भर के लिए आप खुश तो हो सकते हो और शायद ये भी मान सकते है कि आप और आपके अपने काल के द्वार से वापस लौट आये हो। लेकिन इंदौर में कई ऐसे केस भी सामने आ रहे है, जिनमे संक्रमित मरीज के इलाज के बाद उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई है। लेकिन बाद में उनकी मौत भी हो गई है। इस मामले को लेकर मार्च माह के बाद से ही कोविड पेशेंट्स का इलाज कर रहे अरविंदो अस्पताल के डॉक्टर रवि डोसी ने चौंकाने वाले खुलासे किए है।
डॉक्टर रवि डोसी की माने तो कई मरीज ऐसे भी होते है जो संक्रमण को मात तो दे देते है लेकिन उनके शरीर में इलाज के दौरान और ठीक होने के 7 दिन के दरमियान फाइब्रोसिस की मात्रा इतनी अधिक हो जाती है कि वो स्वयं से सांस नहीं ले पाते है और ऐसे में ठीक हुआ व्यक्ति कोरोना के वायरस शरीर से चले जाने के बाद निजी तौर पर इतना कमजोर हो जाता है कि वह स्वयं से सांस नहीं ले पाता है। ऐसे में मरीज को छोटे और बड़े वेंटिलेटर का सहारा तक लेना पड़ता है।
दरअसल, डॉक्टर्स का ये भी मानना है कि इलाज के दौरान कई बार संक्रमित मरीज का इलक्ट्रोलाइड ऊपर नीचे हो जाता है और उनकी किडनी पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है और कभी – कभी तो शरीर में दूसरे इंफेक्शन भी आ जाते है और ऐसे मरीज अत्यंत गम्भीर प्रकार के मरीज होते है। ऐसे में संक्रमित मरीजों के इलाज के बावजूद कोविड निगेटिव रिपोर्ट भी आ जाती है, लेकिन उनकी बीमारी की गम्भीरता उतनी ही बनी रहती है।
डॉक्टरों की राय में कोरोना के हर मरीज को ठीक होने और रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद, हर हालत में नॉन कोविड लोकेशन पर रहना जरूरी है। वहीं खान – पान के साथ ही जीवन को सात्विक तरीके से भी रखना आवश्यक होता है। डॉक्टरों की माने तो किसी भी मरीज की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद 7 दिनों तक बेहद सुरक्षित तरीके और कई सावधानिया बरतनी चाहिए। अरविंदो हॉस्पिटल के डॉक्टर रवि डोसी के मुताबिक वर्तमान में कोविड रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी 2 प्रतिशत ऐसे मामले भी सामने आ रहे है जिसमे मरीजो की हालत चिंताजनक हो जाती और आखिर में उनकी मौत भी हो जाती है।
इंदौर में कई ऐसे मामले सामने भी आए है जिनमे ये बात खुलकर सामने आ रही है कि कोरोना से पूरी तरह स्वस्थ होकर घर लौटने पर भी लोगों की मौतें हुई है। ऐसा ही मामला शहर के पश्चिम क्षेत्र की इंद्रलोक कालोनी में रहने वाले बजाज परिवार के सामने आया है और कोविड कि जंग जीतने के 7 दिन के भीतर ही उनके परिवार के अहम सदस्य की मौत हो गई।
कोविड से जान गंवाने वाले अपने भाई के दुनिया से चले जाने पर उनके छोटे भाई मनीष बजाज ने बताया कि मौत के पहले बेहद खर्चीले इलाज के बावजूद उनके भाई का निधन हो गया है। मनीष बजाज की माने तो डॉक्टर अपना प्रयास पूरी शिद्दत से करते है, लेकिन ये वायरस इतना खतरनाक है कि वो कफ को किसी कड़क पत्थर की तरह जमा देता है और उनके भाई को भी इसी वजह से सांस लेने में तकलीफ आ रही थी और अंततः उनका निधन हो गया।