इंदौर| लोकायुक्त की टीम ने शनिवार को सामाजिक न्याय विभाग के हेड क्लर्क को 15 हजार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा है । क्लर्क बाल भवन नामक एनजीओ संस्था की शिक्षिकाओं का वेतन जारी करने के नाम पर रिश्वत की मांग कर रहा था । सामाजिक न्याय विभाग अब क्लर्क को सस्पेंड करने की कार्रवाई करेगा । क्लर्क हेमन्त मुरमकर धार में रहते हुए भी एक बार अनियमितताओं के कारण सस्पेंड हो चुका है ।
जानकारी के मुताबिक नवलखा स्थित बाल भवन की शिक्षिकाओं का वेतन सामाजिक विभाग द्वारा जारी नही हुआ था । इस विभाग के हेड क्लर्क और अकाउंटेंट हेमन्त मुरमकर वेतन जारी करने की फाइल को दबाए बैठे थे । संस्था के पदाधिकारी जब भी वेतन रिलीज कराने के लिए जाते तो हेमन्त उनसे 15 हजार रिश्वत की मांग करता । जब काफी समय हो गया तो थक हारकर संस्था के पदाधिकारियों ने क्लर्क को राशि देने का तय किया , लेकिन साथ ही उसे सबक सिखाने का भी निर्णय लिया। इसके लिए पदाधिकारी ने लोकायुक्त को शिकायत कर दी ।
शनिवार को शासकीय अवकाश था ऐसे में क्लर्क को कोई रुपये लेते हुए न देखे इसलिए उसने संस्था के पदाधिकारी को कलेक्टर कार्यालय में बुलाया । संस्था पदाधिकारी ने इसकी जानकारी लोकायुक्त को दी| लोकायुक्त ने अपनी टीम भी पदाधिकारी के साथ भेज दी। जैसे ही क्लर्क ने रुपये अपने जेब में रखे वैसे ही उसे रंगे हाथों पकड़ लिया । लोकायुक्त में शिकायत करने वाले संस्था के पदाधिकारी ने बताया कि बाल भवन में मंदबुद्धि बच्चों को पढ़ाने वाली शिक्षिकाओं का वेतन रोक रखा था । यह वेतन सरकार से अनुदान के रूप में आता है।
गौरतलब है कि बाल भवन प्रदेश के कद्दावर कांग्रेसी नेता महेश जोशी की है । यह जानते हुए भी क्लर्क ने रिश्वत लेने की हिम्मत दिखाई । प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बाद भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता की संस्था को वेतन जारी कराने के लिए रिश्वत देना पड़ रही है । इससे समझा जा सकता है कि आम आदमी को सरकारी विभाग से काम करना कितना कठिन है।