नकली नोट खपाने वाला कानून के शिकंजे में, ढाई लाख के नकली नोट बरामद

Atul Saxena
Published on -

इंदौर, स्पेशल डेस्क रिपोर्ट। इंदौर क्राइम ब्रांच ने नकली नोट मार्केट में फैलाकर चलाने वाले एक आरोपी को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। आरोपी सब्जी मंडी में जाकर नकली नोट खपाने का काम करता था आरोपी के पास से 100, 200  500 व 2000 रुपये के कुल दो लाख 53 हजार के नकली नोट बरामद हुए है।

दरअसल, इन्दौर क्राइम ब्रांच को मुखबिर से सूचना मिली थी कि एक शख्स नोट छाप कर मार्केट में नकली नोटों का जाल बिछा रहा है। इसके लिए वह नोटों का बंडल साथ में लेकर सब्जी मंडी में खपाने जा रहा है।  मुखबिर की सूचना की तस्दीक कर क्राइम ब्रांच ने बाद बताए गए हुलिए के आधार पर आरोपी को घेरा बंदी कर पकड़ लिया। जब आरोपी की तलाशी ली गई तो बड़ी मात्रा में नकली नोट पुलिस ने बरामद किये।

 ये भी पढ़ें – ग्वालियर में सिंधिया का विरोध, कांग्रेस ने महल गेट के पास चिपकाये पोस्टर

पूछताछ में आरोपी ने अपना नाम राजरतन पिता अनिल तायडे बताया है। आरोपी के पास एक बैग था जिसकी तलाशी लेने पर उसमें रखे 100, 200, 500 व 2000 के नकली नोट पुलिस ने बरामद किए है। डीआईजी मनीष कपूरिया ने बताया कि आरोपी राजरत्न ने पूछताछ में बताया कि उसका मुख्य उद्देश्य नोट चलाना होता था और उसके लिए वह स्थानीय ठेले व सब्जी वालों को अपना शिकार बनाता था।

ये भी पढ़ें – इस डांसर ने कुछ अलग अंदाज में किया शिव तांडव, बन रहा लोगों की पसंद, जमकर हो रहा वायरल

इधर, आरोपी की निशानदेही पर उसके घर की तलाशी ली गई तो वहां से नोट छापने का प्रिंटर, हाई क्वालिटी का नोट पेपर, ग्लास कटर, लैपटॉप व कई सामग्री जो नोट छापने के उपयोग में आती है उसे पुलिस ने बरामद किया है। आरोपी पिछले दो माह से नोट बनाने का काम कर रहा था लिहाजा इसे लॉक डाउन या कोरोना के आर्थिक साइड इफेक्ट के तौर पर भी देखा जा सकता है। फिलहाल, आरोपी से पुलिस पूछताछ कर रही है कि उसने अब तक कहां-कहां कितने नकली नोट खपाये हैं हालांकि नकली नोट के शिकारी ने ये स्वीकार किया है कि उसने 2 लाख रुपये से ज्यादा के नकली नोट इंदौर के सीमावर्ती गांवो में खपाये है।

ये भी पढ़ें – चुनाव आयोग : पूर्व IAS अधिकारी अनूप चंद्र पांडेय को बड़ी जिम्मेदारी


About Author
Atul Saxena

Atul Saxena

पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

Other Latest News