मानवियता की हदे पार, चूंहो ने कुतरा कोविड मरीज का शव, परिजनों ने लगए अस्पताल पर गंभीर आरोप

Gaurav Sharma
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इंदौर, आकाश धोलपुरे। प्रदेश में कोरोना का हॉट स्पॉट बन चुके इंदौर में एक बार फिर निजी अस्पताल द्वारा की गई लापरवाही का मामला सामने आया है। दरअसल, कोविड पॉजिटिव बुजुर्ग की मौत के बाद परिजनों ने शव की हालत देखकर जमकर हंगामा मचाया और इसके बाद अस्पताल प्रबंधन पर कई संगीन आरोप भी लगाए है। मिली जानकारी के मुताबिक इंदौर यूनिक हॉस्पिटल में विनय नगर जैन कालोनी निवासी बुजुर्ग को चार दिन पहले इलाज के लिए भर्ती कराया गया था और रविवार सुबह तक भी वो ठीक थे, लेकिन आज अचानक हॉस्पिटल से सूचना आई कि उनकी मौत हो गई है। इसके बाद गुस्साए परिजनों ने सोमवार को यूनिक हॉस्पिटल के बाहर हंगामा खड़ा कर दिया। परिजनों की माने तो 4 दिन पहले उन्हें भर्ती कराया गया था और यदि रात में उनकी डेथ हो गई तो उस समय ही अस्पताल बता देता ताकि उनके शव को चुंहो द्वारा कुतरा तो नही जाता। परिजनों के हंगामा मचाने पर मौके पर अन्नपूर्णा पुलिस भी पहुंच गई थी और परिजनों ने पुलिस से कई सवाल जबाव किये। इधर, परिजनों के आरोपों पर गौर करे तो ये बात भी सामने आ रही है कि जिस अस्पताल में चुंहे है वो किस हिसाब से हॉस्पिटल के मानकों पर प्रशासन की नजरों में खरा उतर रहा है।

 

बता दें कि पूरी घटना इंदौर के पश्चिम क्षेत्र के यूनिक हॉस्पिटल की है, जहां 4 दिन पहले भर्ती किये गए विनय नगर जैन कालोनी निवासी कोविड पेशेंट की रविवार रात को मौत हो गई। सुबह जब परिजनो को बुलाया गया और जब परिजनों ने शव को देखा तो उनकी हालत खराब हो गई, क्योंकि बुजुर्ग की आंख और पैर के हिस्से कटे दिखाई दे रहे थे। परिजनों का आरोप है कि बुजुर्ग के शरीर को चुंहो ने कुतर दिया है। इसके बाद परिजनों ने बकायदा शव का वीडियो बनाकर मीडिया को जानकारी दी। परिजनों ने यूनिक हॉस्पिटल प्रबंधन और प्रबंधक डॉ. प्रमोद नीमा पर कई संगीन आरोप लगाए है। आरोप तो ये भी लग रहे है कहीं अस्पताल प्रबंधन ने बुजुर्ग के शरीर के आंतरिक अंग तो नही निकाल लिए है।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो के बाद प्रशासन हरकत में आया और इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह तुरंत पूरे मामले की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए है। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम में सवाल ये उठ रहे है कि परिजन इस मामले में पुलिस को शिकायत कर बॉडी का पोस्टमार्टम कराना चाहते थे, लेकिन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के नियम कोविड पेशेंट के पीएम की इजाजत नहीं देते है। कोविड के नोडल अधिकारी डॉ. अमित मालाकार की माने तो इस मामले में जांच शुरू कर दी गई और अस्पताल प्रबंधन से पूछताछ जारी है।

फिलहाल, इस पूरे मामले में परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन द्वारा इलाज के नाम पर की गई वसूली पर सवाल खड़े किए है और अब प्रशासन की जांच के बाद पूरा मामला साफ हो पायेगा। इंदौर में हुई इस घटना के बाद मृतक बुजुर्ग के परिजनों ने मांग भी उठाई है कि सरकार सारे नियमो को ध्यान में रखकर पेशेंट के साथ पूरे पुख्ता इंतजामो के साथ एक अटेंडर भी रखने की इजाजत दे, ताकि जो उनके साथ हुआ है वो किसी ओर के साथ न हो। आखिर में 87 वर्षीय बुजुर्ग के शव का दाह संस्कार तो कर दिया गया है लेकिन निजी अस्पतालों की मनमानी ने एक बार फिर कई सवाल खड़े कर दिए है जिनके जबाव मिलना इस संकट काल मे मुश्किल ही लग रहे है। मानवीयता की हदे पार कर देने वाली इस घटना ने शहरवासियों को झकजोर कर रख दिया है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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