इंदौर,आकाश धोलपुरे। मध्यप्रदेश में इन दिनों सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद एक बड़ा राजनीतिक घमासान सामने आ रहा है और दोनों ही प्रमुख दल ओबीसी आरक्षण को लेकर अपने – अपने दावे कर रहे है। इंदौर (indore) में कांग्रेस (congress) ने जहां पहले प्रेस वार्ता लेकर अपने तर्क ओबीसी आरक्षण (OBC reservation) को लेकर रखे और बीजेपी सहित आरएसएस पर सवाल उठाए तो वही दूसरी ओर प्रदेश के हर जिले की तर्ज पर इंदौर में भी ओबीसी आरक्षण को लेकर बीजेपी ने बड़ी प्रेस कांफ्रेंस की। यहां बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती (BJP State Vice President Jitu Jirati) ने कहा कि बीजेपी हमेशा पिछड़ों को साथ मे लेकर चली है और आगे भी चलती रहेगी।
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उन्होंने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ही ओबीसी आरक्षण का शिगूफा छोड़ा था और संवैधानिक तौर पर कोई कदम नही उठाया था जबकि बीजेपी ओबीसी आरक्षण की पक्षधर है और बीजेपी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से लेकर निकाय चुनाव तक मे 27 प्रतिशत से ज्यादा की भागीदारी ओबीसी को देने जा रही है। बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि भाजपा चुनाव के लिए तैयार है जबकि कांग्रेस चुनाव से भागना चाह रही है। भाजपा अन्य पिछडा वर्ग आरक्षण के साथ ही चुनाव कराने की पक्षधर है।
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बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के कारण पिछड़ा वर्ग, आरक्षण से वंचित हुआ है कांग्रेस स्थानीय निकाय चुनाव नहीं चाहती है। उन्होंने कहा कि जिस समय प्रदेश में चुनाव होने जा रहे थे तो कांग्रेस ही पहले हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने पहुंची थी। उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम कमलनाथ ने 27 % ओबीसी आरक्षण का शिगूफा उनकी सरकार के समय छोड़ा था लेकिन संवैधानिक तौर पर कोई भी काम उन्होंने नही किया और उनकी घोषणा केवल शिगूफा बनकर ही रह गई।
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बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती ने कहा कि सरकार की मंशा है कि आरक्षण लागू हो और इसलिये सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर प्रदेश सरकार रिव्यु पीटिशन दायर कर रही है जिससे स्पष्ट है कि भाजपा ओबीसी वर्ग को उसका हक दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना ओबीसी आरक्षण के नगरीय निकाय एवं पंचायत चुनाव कराने की मौजूदा स्थिति के लिए सिर्फ कांग्रेस ही जिम्मेदार है।
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जिराती ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के साथ पंचायत चुनाव कराने की तैयारी कर ली थी। इसके तहत वार्ड परिसीमन, वार्ड आरक्षण, महापौर तथा अध्यक्ष का आरक्षण, मतदाता सूची तैयार करने के काम हो चुके थे। ओबीसी एवं अन्य उम्मीदवारों द्वारा नामांकन भी दाखिल कर दिए गए थे लेकिन इसी दौरान कांग्रेस इसके विरूद्ध हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गई, जिससे चुनाव प्रभावित हो गए। कांग्रेस ने इस मामले को न्यायालयीन प्रक्रिया में उलझाकर ओबीसी हितों को कुचलने का काम किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सिर्फ कहती है और बीजेपी जो कहती है उसे करती है। फिलहाल, मध्यप्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद चुनाव होना है ऐसे में अब बड़े वोट को साधने की जुगत में दोनों ही प्रमुख दलों के द्वारा एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है जो आगे भी जारी रहेगा।