सालों से दुनियाभर में फेमस हैं Indore Night Culture, सराफा चौपाटी और 56 दुकान में कभी नहीं हुई अप्रिय घटना

Published on -
Indore Night Culture

Indore Night Culture : इंदौर शहर में नाइट कल्चर अभी से शुरू नहीं हुआ है। यह होलकर शासकों के समय समय से चलता आ रहा है। दरअसल होलकर शासकों ने व्यापार व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए नाइट कल्चर का प्रयास किया था जो सालों से अब तक चलता हुआ आ रहा है। हालांकि ये शहर के कई इलाकों में ही था शुरू किया गया था लेकिन अब धीरे धीरे इंदौर में पूरी तरह से नाईट कल्चर लागू किया जा रहा है। होल्कर शासकों ने व्यापारियों और मजदूरों के खाने-पीने के लिए रात में दुकानें खोलने का निर्णय लिया जो सफल रहा।

Pravasi Bhartiya Sammelan

ऐसे में सालों से इंदौर की सराफा चौपाटी, राजवाड़ा, 56 दुकान में नाईट कल्चर लागू है। जानकारी के मुताबिक, रात में भी खाने पीने की दुकानों पर भीड़ लगने का सिलसिला तब से शुरू हुआ जब कपड़ा मिलों से रात की पाली खत्म कर कर्मचारी अपने घर जाने से पहले सराफा चौपाटी में खाने के लिए आते थे। खाने पीने की सुविधा बढ़ाने के बाद ट्रेन और बस की सुविधा बढ़ाई गई। जिससे लोग इंदौर घूमने के लिए आने लगे और धीरे धीरे रात में खानपान के बाजार सजने लगे। ये सिलसिला अभी तक जारी है। आज भी रात में सराफा बाजार, 56 दुकान और राजवाड़ा क्षेत्र खुले रहते हैं। इंदौर का नाइट कल्चर तो पुरी दुनिया में प्रसिद्ध है।

70 सालों से रात में खुल रही इंदौर सराफा चौपाटी –

Indore Night Culture

इंदौर में सुबह के वक्त सोने-चांदी के आभुषण की दुकानें लगती हैं। रात में यहां दुकानें बंद होने के बाद चौपाटी लगाई जाती है। जो 70 साल से लगती आ रही है। यहां ओटलों पर व्यंजन की दुकानें लग जाती हैं। दुनियाभर में इंदौर की सराफा चौपाटी और 56 दुकान फेमस है। ये रात 9 बजे से शुरू होकर सुबह 3 बजे तक चालू रहती है। बताया जा गए है कि सराफा बाजार में ही वर्तमान में खानपान की 82 दुकानें रात में सराफा चाट चौपाटी एसोसिएशन से संबद्ध हैं।

इसके साथ ही गैर पंजीकृत दुकानें छोटा और बड़ा सराफा, पीपली बाजार, इमामबाड़ा, शकर बजार में खानपान की 50 से अधिक अधिक दुकानें रात में लगती है। खास बात ये है कि सालों से चली आ रही ये नाईट कल्चर की परंपरा में कभी कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। ना ही किसी ने कोई दंगे किए। दरअसल यहां रहवासी क्षेत्र होने के साथ-साथ थाना भी पास में ही है इसलिए निजी सुरक्षा व्यस्था भी मौजूद है।

1977 में विकसित हुआ 56 दुकान मार्केट –

Indore 56 Dukan

वहीं बात करें इंदौर के 56 दुकान मार्केट की तो ये चार दशक पुराना है। यह सन 1977 के आसपास विकसित हुआ। ऐसे में धीरे धीरे यहां खाने पीने की दुकानें खुलने लगी। सुबह से यहां खाने पीने का सिलसिला शुरू होता है जो रात तक चलता है। अब रात में भी इसे चालू रखा जाता है।

लेकिन पहले से अब का माहौल ख़राब होते जा रहा है। अब लोग उत्पाद मचाने लग गए है और इंदौर के नाईट कल्चर को ठेंगा दिखाने में लगे हुए है। हालांकि अभी तक भी लोग इन मार्केट में कभी उत्पाद मचाने नहीं आते। यहां असमाजिक तत्व या नशा करके आने वाले खुद भी कतराते हैं। इसके पीछे की वजह ये है कि शुरू से ही पारिवारिक माहौल को बरकरार रखने पर दुकानदारों का जोर रहा है।


About Author

Ayushi Jain

मुझे यह कहने की ज़रूरत नहीं है कि अपने आसपास की चीज़ों, घटनाओं और लोगों के बारे में ताज़ा जानकारी रखना मनुष्य का सहज स्वभाव है। उसमें जिज्ञासा का भाव बहुत प्रबल होता है। यही जिज्ञासा समाचार और व्यापक अर्थ में पत्रकारिता का मूल तत्त्व है। मुझे गर्व है मैं एक पत्रकार हूं।मैं पत्रकारिता में 4 वर्षों से सक्रिय हूं। मुझे डिजिटल मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया तक का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कंटेंट राइटिंग, कंटेंट क्यूरेशन, और कॉपी टाइपिंग में कुशल हूं। मैं वास्तविक समय की खबरों को कवर करने और उन्हें प्रस्तुत करने में उत्कृष्ट। मैं दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली से संबंधित विभिन्न विषयों पर लिखना जानती हूं। मैने माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी से बीएससी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ग्रेजुएशन किया है। वहीं पोस्ट ग्रेजुएशन एमए विज्ञापन और जनसंपर्क में किया है।

Other Latest News