फीस मांफी की मांग को लेकर पालकों ने किया प्रदर्शन, स्कूल प्रबंधन के खिलाफ की जमकर नारेबाजी

Gaurav Sharma
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इंदौर, आकाश धोलपुरे। निजी स्कूलों द्वारा लगातार फीस भरने के दबाव के बाद अब इंदौर पालकों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया है। यही वजह है कि कोविड संकट के बीच निजी स्कूलों द्वारा फीस भरने के दबाव के बाद अब पालक एक जाजम पर आकर विरोध कर रहे है। गुरुवार को भी इंदौर में फीस की मांग करते हुए सेंट रेफियल स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस से वंचित करने के विरोध में पेरेंट्स ने गुरुवार को स्कूल कैंपस में प्रदर्शन किया।

जानकारी के मुताबिक स्कूल प्रबंधन कलेक्टर-मुख्यमंत्री की बातों से सहमत नहीं है और प्रबंधन का कहना है कि हमारे ही नियमों से स्कूल चलाया जाएगा। वही पालकों का कहना है कि बच्चों को ऑनलाईन क्लासेस से वंचित कर देना उनके भविष्य के हित में नहीं हैं।

दरअसल, कोरोना संकट काल और लॉक डाउन के बीच कई पालकों की नौकरियां चली गई है, लिहाजा अब वो फीस कम करने की मांग करते दिखाई दे रहे है। आधी फीस की माफी की मांग के साथ इंदौर में पालकों ने आज जमकर हंगामा मचाया और स्कूल परिसर में ही  प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

शहर के कृषि महाविद्यालय रोड़ स्थित सेंट रेफियल्स स्कूल में पालकों द्वारा मचाये गए हंगामे का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। बता दें कि बीते दिनों जब सीएम एक दिनी प्रवास पर इंदौर आये थे, उस दौरान भी निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर पालकों ने सीएम के काफिले को रोककर अपनी समस्या बताई थी। जिसके एक दिन बाद ही सीएम ने ट्वीट कर कहा था कि पालकों को परेशानी न हो इस बात का ध्यान प्रशासन रखे और निजी स्कूलों की मनमानी नही चलने दी जाएगी। सीएम ने VC के जरिये इंदौर के प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश भी दिए थे, बावजूद इसके इंदौर पालकों के विरोध की तस्वीरें आये दिन सामने आ रही है।

 


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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