दरअसल देवास के औद्योगिक क्षेत्र में स्थित कई फैक्ट्रियों पर यह आरोप लगा है कि वो नाग धम्मन नदी (Naga dhamman River) में केमिकल (Chemical) युक्त पानी छोड़ रहे हैं और ऐसा आरोप पहली बार नहीं लगा है। इसके पहले भी इस मामले को लेकर कई जांचें हो चुकी हैं लेकिन नतीजा सिफर रहा।
इस बार फिर नाग धम्मन नदी (Naga dhamman River) और औद्योगिक क्षेत्र के आस पास रहने वाले रहवासियों ने आरोप लगाया है कि कई ऐसी फैक्ट्रियां हैं जो अपना वेस्टेज केमिकल (Chemical) युक्त पानी इस नदी में बहा रहे हैं नतीजतन नाग धम्मन नदी (Naga dhamman River) प्रदूषित तो हो ही रही है साथ ही इस नदी के आस पास बसे करीब 1 दर्जन गाँवों में खुजली, त्वचा रोग सहित बोरिंग से दूषित पानी आने की ख़बरें आना भी आम बात हो गयी है ।
रहवासियों का यह भी कहना है कि इसको लेकर वो कई बार शिकायत भी कर चुके हैं लेकिन नतीजा सिफर ही रहा है। इन फैक्ट्रियों ने छोटे छोटे पाईप इस तरह से फैक्ट्री के बाहर छोड़ रखे है कि जिस पर हर किस की नज़र नहीं पड़ती और इन्हीं पाइपों से केमिकल (Chemical) युक्त पानी नदी में आता है और इस पानी को बड़ी ही चालाकी से आधी रात को छोड़ा जाता है ।
पूरे मामले को लेकर रहवासियों ने प्रदूषण विभाग पर जमकर अपनी भड़ास निकाली और फैक्ट्री संचालक और प्रदूषण विभाग के अधिकारियो की आपस में मिलीभगत होने का आरोप भी लगाया है। रहवासियों का यह भी कहना है कि इस दूषित पानी को पीने से हमारे मवेशियों की भी मौत हो रही है।
नदी में जा रहे केमिकल (Chemical) से नदी के पानी का रंग ही बदल गया है और अब एक सफेद कलर की परत पानी पर साफ दिखाई दे रही है। हम आपको यह भी बता दें कि यह नाग धम्मन नदी (Naga dhamman River) जिसका कि पानी दिन ब दिन प्रदूषित होता जा रहा है आगे जाकर उज्जैन पहुंचकर ये क्षिप्रा नदी (Kshipra River) में मिल जाती है और इसका प्रदूषित पानी क्षिप्रा नदी (Kshipra River) के पानी को भी दूषित कर रहा है ।
मामले को लेकर अब देवास कलेक्टर चन्द्रमौली शुक्ला ने प्रदूषण विभाग और राजस्व की संयुक्त टीम बनाकर जाँच करवाने को बात कही है और यह भी कहा कि जाँच में जो कोई भी दोषी पाया जाएगा तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। खैर जाँच तो पहले भी कई बार हो चुकी हैं लेकिन नतीजा सिफर ही रहा है लेकिन उज्जैन की तरह देवास में भी नदी में धमाके और विस्फोट जैसी घटनाएं हो गयी तो इसका ज़िम्मेदार कौन होगा?