जबलपुर : सेना के अधिकारी ने दिव्यांग जूनियर इंजीनियर के साथ की मारपीट, जांच में जुटी पुलिस

Gaurav Sharma
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जबलपुर, संदीप कुमार। जबलपुर में शनिवार की देर रात सेना के कोबरा केंटिन स्थित राबर्ट बैरिक में उस वक्त हड़कंप मच गया जब सेना में पदस्थ सूबेदार ने अपने कुछ जवानों के साथ मिलकर दिव्यांग जूनियर इंजीनियर के साथ जमकर मारपीट कर उसे घायल कर दिया। पीड़ित जूनियर इंजीनियर रक्षा मंत्रालय के MES विभाग में पदस्थ है। अपने साथ हुई मारपीट की वारदात को एमईएस के दिव्यांग जूनियर इंजीनियर ने केंट थाने में दर्ज करवाई।

दिव्यांग जूनियर इंजीनियर के साथ हुई मारपीट

केंट पुलिस ने बताया कि एमईएस के दिव्यांग जूनियर इंजीनियर अमेंद्र सिंह जब कोबरा केंटिन के पीछे राबर्ट बैरिक में पाइप लाइन का कुछ काम करने गया था, तब वहां मौजूद सूबेदार योगेश सिंह ने उनका नाम पता और परिचय पत्र पूछा, तो उसके द्वारा बताया गया कि वह एमईएस में जूनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत है। बेरिक में पाइप लाइन को ठीक करने के काम से आया है। इतना सुनते ही सूबेदार योगेश सिंह आक्रोशित हो गए और अभद्र व्यवहार करते हुए अपने जवानों के साथ मिलकर मारपीट करना शुरू कर दिया।

मारपीट की सूचना के बाद एमईएस विभाग के अधिकारी भी पहुंच गए थाने

एमईएस विभाग में पदस्थ जूनियर इंजीनियर सिंह के साथ की मारपीट की खबर जैसे ही उनके संबंधित अधिकारियों की लगी, तो वह भी कैंट थाने पहुंच गए। साथ ही सेना में पदस्थ सूबेदार योगेश सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई।अपनी शिकायत में अमरेंद्र सिंह ने पुलिस को बताया कि उसके साथ ना सिर्फ मारपीट की गई, बल्कि उसकी दिव्यांगता का भी मजाक उड़ाया गया। दिव्यांग जूनियर इंजीनियर अमेंद्र सिंह ने पुलिस को बताया कि सेना के जवानों ने उनके साथ बुरा बर्ताव भी किया। गालियां देकर अपमानित भी किया। फिलहाल शिकायत के बाद कैंट थाना पुलिस ने जूनियर इंजीनियर के मामले को दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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