जबलपुर, संदीप कुमार। केन्द्रीय भूजल बोर्ड द्वारा हाल ही में जारी की गई डायनेमिक ग्राउंड-वॉटर रिसोर्स की रिपोर्ट में चौंकाने वाला ख़ुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में भूजल भंडार तेजी से खत्म हो रहा है और यहां 26 ब्लॉक्स ऐसे हैं जहां भूजल भंडार सूखने की कगार पर हैं। रिपोर्ट को खतरे की घण्टी मानते हुए प्रशासन ने भूजल सहेजने के अभियानों में तेजी लाने की बात की है।
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मध्यप्रदेश में भू-जल का भंडार तेजी से खत्म हो रहा है। वजह है भूमिगत जल का बेइंतिहां दोहन और बारिश में ग्राउंउ वाटर रि-चार्ज कम होना। हालात किसी खतरे की घण्टी से कम नहीं है जो केन्द्रीय भूजल बोर्ड द्वारा हाल ही में जारी की गई डायनेमिक ग्राउंड वॉटर रिपोर्ट 2020 से उजागर हुए हैं। केंद्रीय भूजल बोर्ड और मप्र सरकार द्वारा हाल में किए मूल्यांकन में हालात साल 2017 की तुलना में 2020 में और गंभीर हो गए हैं। डायनेमिक वॉटर रिसोर्स 2020 के इस मूल्यांकन में प्रदेश के 317 ब्लॉक में से 26 ब्लॉक ऐसे हैं जहां भू-जल भंडार सूखने की कगार पर हैं, 50 ब्लॉक सेमी क्रिटिकल श्रेणी में आंके गए हैं। इनमें प्रदेश के भोपाल, ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर शहर भी शामिल हैं। यहां भू-जल मौजूद है लेकिन कम मात्रा में सालाना दोहन उपलब्धता से 90 फीसदी तक हो रहा है।
- ओवर एक्सप्लॉइड यानि भूजल भंडार का 100 फीसदी या ज्यादा दोहन वाले ब्लॉक्स हैं – आगर मालवा जिले के नलखेड़ा, सुसनेर, बड़वानी जिले का पंसमेल, देवास जिले के देवास और सोनकच्छ, धार जिले के बदनावर, धार और नालचा, इंदौर, सांवेर और देपालपुर, नीमच जिले के जावरा और नीमच, शाजापुर जिले के मोहन बरोदिया, शुजालपुर, और कालापीपल।
- क्रिटिकल ब्लॉक्स यानि भूजल भंडार का 90 से सौ फीसदी दोहन वाले ब्लॉक्स- छिदवाड़ा जिले का छिंदवाड़ा ब्लॉक, धार जिले का तिरला, जबलपुर जिले का जबलपुर शहर, मंदसौर जिले का भानपुरा और मल्हारगढ़, राजगढ़ जिले का सारंगपुर और नरसिंहगढ़, सीहोर जिले का आष्टा और आगरमालवा जिले का बड़ौद हैं।
- सेमी क्रिटिकल ब्लॉक्स यानि भूजल भंडार का 70 से 90 फीसदी तक दोहन वाले जिले ग्वालियर शहर, शिवपुरी जिले के नरवर, बदरवास, कोलारस, खनियांधाना और पिछोर, अशोकपुर जिले का ईसागढ़ हैं।
गंभीर बात ये है कि साल 2017 के मुकाबले साल 2020 की डायनेमिक वॉटर रिसोर्स रिपोर्ट में प्रदेश के सिर्फ 3 ब्लॉक्स में भूजल स्तर में सुधार हुआ जबकि 16 ब्लॉक्स में भूजल स्तर के हालात बद से बदतर हो गए और 294 ब्लॉक्स में कोई सुधार नहीं हुआ। रिपोर्ट में प्रदेश के बड़े शहरों के अलावा जबलपुर भी क्रिटिकल श्रेणी में हैं जहां जिला प्रशासन भूजल सहेजने की योजनाओं पर तेजी से काम करने की बात कह रहे हैं।