जबलपुर, संदीप कुमार। मध्यप्रदेश के जबलपुर में रेप केस में फंसे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व नेता शुभांग गोटिया को हाई कोर्ट से जमानत मिली, जिसके बाद शुभम गोटिया ने शहर में “भैया इस बैक” के पोस्टर लगा दिए, पीड़ित युवती हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची जहां सोमवार को इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए ना सिर्फ शुभांग गोटियां को फटकार लगाई है बल्कि राज्य सरकार से जवाब भी मांगा है।
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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना,जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने मामले में सुनवाई करते हुए मकर संक्रांति पर शुभांग गोटिया के लगाए गए होर्डिंग “भैया इज बैक” पर सख्त नाराजगी जाहिर की है, सुप्रीम कोर्ट ने शुभम गोटियां को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना उसकी जमानत निरस्त कर दी जाए, सीजेआई एनवी रमना ने आरोपी के वकील से कहा है कि यह “भैया इज बैक” क्या है अपने भैया को कहिए कि एक हफ्ता अब सावधान रहें।
सीजीआई एन.वी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने मध्य प्रदेश सरकार से भी इस मामले में जवाब मांगा है, पीड़िता ने वकील वैभव मनु श्रीवास्तव और शिखा खुराना के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पूर्व अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद नेता शुभांग गोटिया को जबलपुर हाई कोर्ट से मिली जमानत को चुनौती देते हुए इसे निरस्त करने की मांग की है, याचिका में पीड़िता ने कहा कि हाईकोर्ट ने केस गंभीरता से नहीं लिया है और आरोपी के पुराने इतिहास पर भी गौर नहीं किया, यह बताने के बाद भी कि आरोपी एक रसूखदार व्यक्ति और पार्टी से जुड़ा हुआ है।
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आरोपी शुभांग गोटिया ने 23 वर्षीय पीड़िता से 2018 में कॉलेज के दौरान मुलाकात कर दोस्ती की थी बाद में दोनों को प्यार हो गया इस दौरान कई जगह घुमाने भी ले गया, 1 दिनों मांग में सिंदूर भरते हुए उसे अपनी पत्नी बना ली इसके बाद कई बार शारीरिक संबंध बनाए, पीड़िता ने जब शुभांग से शादी की बात कही तो वह मुकर गया, पीड़िता ने यह भी आरोप लगाए हैं कि गर्भवती होने के बाद परिवार वालों ने जबरन उसका गर्भपात करा दिया, पीड़िता की शिकायत पर 2021 में महिला थाने में गोटिया के खिलाफ रेप का मामला दर्ज करते हुए उसे गिरफ्तार किया गया था और फिर नवंबर 2021 में हाईकोर्ट से उसे जमानत मिल गई थी।